(अनिल सिंह भोपाल से)– केन्द्रीय मंत्री उमा भारती आज प्रेस क्लब भोपाल के आमंत्रण पर पत्रकारों से रूबरू हुईं.उमा भारती ने इस वार्ता में अपने जीवन की यात्रा को पत्रकारों के समक्ष रखा लेकिन वे चतुराई से अपने जीवन के गोविन्दाचार्य वाले पहलू को छिपा गयीं.उमा भारती यह कहती नजर आयीं की उन्हें मुख्यमंत्री बनने की पुनः कोई इच्छा नहीं रही और वे अपने जीवन का अंत भी गंगा योजना में देना चाहती हैं.
अपने जीवन की यात्रा का वृत्तांत पत्रकारों के समक्ष रखने के बाद पत्रकारों ने उनसे सवाल किये कुल 28 सवालों में भोपाल के दिग्गज पत्रकारों के सवाल शामिल थे .इन पत्रकारों ने कुल 28 प्रश्न उमा भारती से पूछे जिनमें 22 प्रश्नों के जवाब देने से उमा भारती बचती नजर आयीं बाकी प्रश्नों के उत्तर भी उन्होंने मूल विषय से हट कर दिए.
उमा भारती की दी हुई जानकारी में कुछ नया नहीं था पूरे समय उनका उद्बोधन प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी के गुणगान में लगा रहा.लालकृष्ण आडवाणी को वे पूर्णतः भूली रहीं.पत्रकारों द्वारा याद दिलाने पर वे झेंप गयीं और इस भूल को चतुराई से संभाला.
अपने जीवन-वृत्त के ईमानदार वृत्तांत में से उन्होंने गोविन्दाचार्य के पन्ने को अपनी जिंदगी में प्रदर्शित नहीं किया.
गंगा-शुद्धिकरण अभियान में देरी के लिए वे सफाई देती रहीं लेकिन जो कार्य शासन संसाधन होते हुए कर सकता था उसका जिक्र मंत्री जी ने नहीं किया.प्रदूषण फैलाने के मुख्य जिम्मेदार कारखाने हैं और उन पर नियंत्रण एक शासकीय प्रबंधन प्रक्रिया है लेकिन मंत्री जी ने इसे भी अपने उद्बोधन से गायब कर दिया.
प्रेस से वार्ता कार्यक्रम में यह निकल कर आया की ये अभी भी अपने दायित्व के प्रति ईमानदारी से भूमिका नहीं निभा रहीं हैं और इसका अंजाम भी इनके अन्य कार्यों की तरह होना तय है.
उमा भारती ने सामंतवादी ताकतों के प्रति अपना रोष और रवैया स्पष्ट इस प्रेस वार्ता में कर दिया.