नई दिल्ली,12 अगस्त (आईएएनएस)। आईपीएल के पूर्व प्रमुख ललित मोदी के मुद्दे पर बुधवार को कांग्रेस के कार्यस्थगन प्रस्तान पर लोकसभा में तीखी चर्चा हुई। सरकार ने उल्टे कांग्रेस को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की। कहा कि ललित मोदी को वापस लाने के लिए कांग्रेस सरकार ने गलत कदम उठाए थे। साथ ही विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के इस्तीफे की मांग को सिरे से खारिज कर दिया।
चर्चा के दौरान राहुल गांधी का आक्रामक तेवर दिखा तो अरुण जेटली का जोश से भरा जवाब भी। सुषमा स्वराज ने कहा कि उनके परिवार को ललित मोदी से कोई रुपया नहीं मिला और न ही उन्होंने ललित मोदी की कोई मदद की। उन्होंने मोदी की पत्नी की मदद की थी।
कार्यस्थगन प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि ललित मोदी को भारत वापस लाने के लिए कांग्रेस नेतृत्व वाली संप्रग सरकार के उपाय कभी भी सफल नहीं हो सकते थे।
जेटली ने कहा कि ललित मोदी के खिलाफ ज्यादा कड़े प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट (पीएमएलए ) के बजाए फॉरेन एक्सचेंज मैनजमेंट एक्ट (फेमा) के तहत जांच की जा रही थी। 2012 में पीएमएलए में मामला दर्ज हुआ लेकिन आगे नहीं बढ़ा। मोदी सरकार के कड़े कदमों की वजह से ललित मोदी की गिरफ्तारी के आधार बने हैं।
उन्होंने कहा कि सुषमा स्वराज ने ब्रिटिश सरकार से उस वक्त बात की थी जब मोदी के खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं हुआ था।
जेटली ने कहा कि कांग्रेस राई का पहाड़ बना रही है। उन्होंने कहा, “आप (कांग्रेस) देश के विकास की कहानी को नष्ट करना चाह रहे हैं।”
जेटली ने कहा, “राहुल गांधी के साथ समस्या यह है कि वह बिना जानकारी वाले विशेषज्ञ हैं।”
उन्होंने कहा, “सरकार विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पर लगे आरोपों को सिरे से खारिज करती है। सुषमा जी के इस्तीफे का सवाल ही नहीं उठता।”
इससे पहले चर्चा में हिस्सा लेते हुए राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें इस मुद्दे पर अपना मौन तोड़ना चाहिए।
राहुल ने कहा कि सत्ता पक्ष उन्हें चुप कराना चाहती है लेकिन उनकी पार्टी भ्रष्टाचार के मुद्दे पर चुप नहीं बैठने वाली है।
राहुल ने कहा, “(नरेंद्र) मोदी ने वादा किया था कि 15 लाख रुपये काला धन हर बैंक खाते में आएगा। उन्होंने यह भी वादा किया था कि भ्रष्टाचार नहीं होगा। दोनों ही मामलों में मोदी फेल हो गए।”
कांग्रेस सांसद ने कहा कि प्रधानमंत्री सदन में नहीं हैं, क्योंकि उनमें सदन का सामना करने की हिम्मत नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी ने तय कर लिया है कि वह न तो सत्य के बारे में कुछ सुनेंगे, न देखेंगे और न कुछ बोलेंगे।
राहुल ने कहा, “कल (मंगलवार) सुषमाजी ने मेरा हाथ पकड़ा और कहा कि आप मुझसे इतने नाराज क्यों हो। मैंने किया क्या है। मैंने कहा, मैं आपकी इज्जत करता हूं। मैंने आपकी आंखों में देखा और कहा कि मैं सच बोल रहा हूं। लेकिन आपने निगाहें नीची कर ली।”
राहुल ने सुषमा से दो सवाल पूछे। एक तो यह कि उन्हें और उनके परिवार को ललित मोदी से कितना पैसा मिला। दूसरा यह कि उन्होंने ललित मोदी की ‘मानवीय मदद’ छिपकर क्यों की।
सुषमा ने इन आरोपों का सिलसिलेवार जवाब दिया। उन्होंने कहा कि “अगली बार जब वह (राहुल गांधी) छुट्टी पर जाएं तो अपने परिवार का इतिहास पढ़ें। अपनी मां सोनिया गांधी से पूछें कि वारेन एंडरसन से उनके परिवार को कितने रुपये मिले थे।”
एंडरसन भोपाल गैस त्रासदी के लिए जिम्मेदार कंपनी यूनियन कार्बाइड के मुखिया थे।
सुषमा ने कहा, “एंडरसन की मदद करना मदद के बदले में मदद पाना है। मेरे मामले में यह बात नहीं लागू होती।”
उन्होंने कहा कि ललित मोदी के पासपोर्ट मामले में उनके पति वकील नहीं थे। उनकी बेटी वरिष्ठता क्रम में नौवें नबंर पर थी और उसने एक रुपया नहीं लिया था।
कांग्रेस सासंदों ने जवाब देने के लिए जेटली के खड़े होते ही सदन की कार्यवाही का बहिष्कार कर दिया। पार्टी की मांग थी कि प्रधानमंत्री मोदी सदन में आकर बयान दें। कांग्रेस सांसदों की गैर मौजूदगी के बीच कार्यस्थगन प्रस्ताव को ध्वनिमत से नामंजूर कर दिया गया।