गोपियों और राधा के साथ कृष्ण होली खेल रहे हैं। कमल समान सुन्दर मुख वाली राधा कृष्ण के मुख पर कुंकुम लगाने की घात में है। गुलाल फेंकने का अवसर ताक रही है। चारों और गुलाल उड़ रहा है। उसमें ब्रजबालाओं की देहयष्टि इस तरह चमक रही है मानो सावन की सांझ में लोहित गगन में चारों ओर बिजली चमकती हो।
उड़ते गुलाल के बीच रसखान ने गोपियों के सौन्दर्य को रूपायित करने के लिए सावन के महीने में सूर्यास्त के बाद छाई लालिमा और चारों दिशा में दामिनी की चमक के रूपक का प्रयोग किया है।