नई दिल्ली, 12 अगस्त (आईएएनएस/इंडियास्पेंड)। प्रधानमंत्री के पद पर नरेंद्र मोदी के एक साल पूरा होने के बाद खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय ने जो उपलब्धियों का ब्योरा जारी किया, वह जांच करने पर भ्रामक और विसंगति भरा पाया गया है।
नई दिल्ली, 12 अगस्त (आईएएनएस/इंडियास्पेंड)। प्रधानमंत्री के पद पर नरेंद्र मोदी के एक साल पूरा होने के बाद खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय ने जो उपलब्धियों का ब्योरा जारी किया, वह जांच करने पर भ्रामक और विसंगति भरा पाया गया है।
हमने अपने निष्कर्ष ई-मेल से मंत्रालय को भेजे, जिस पर कोई जवाब नहीं आया है।
1. शीत भंडार : 138 को मंजूरी, लेकिन अन्य वर्षो की तुलना में यह कम।
दावा : शीत भंडार श्रंखला योजना के तहत 138 परियोजनाओं को मंजूरी।
जांच से पता चला : यह सही है कि 2014-15 में 138 निवेश प्रस्ताव मिले और सरकार उन्हें मंजूरी दी। 2011-12 के बाद से मौजूद सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, हालांकि 2014-15 में गत चार साल में सबसे कम मंजूरी दी गई।
2. खाद्य प्रसंस्करण राष्ट्रीय मिशन (एनएमईपी) के तहत परियोजनाओं को मंजूरी : दावे से 1,078 कम।
दावा : राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों ने 2014-15 में एनएमईपी के तहत 1,286 परियोजनाओं को मंजूरी दी।
जांच से पता चला : आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, मंजूर की गई परियोजनाओं की संख्या 208 है न कि 1,286।
3. मेगा फूड पार्क : 17 को मंजूरी। पिछली सरकार ने हालांकि 40 को मंजूरी दी थी।
दावा : 2014-15 मं 17 मेगा फूड पार्क को मंजूरी दी गई।
जांच से पता चला : यह सही है कि 2014-15 में 17 परियोजनाओं को सैद्धांतिक मंजूरी दी गई, लेकिन 11वीं पंचवर्षीय योजना अवधि (2007-12) और 12वीं योजना अवधि के प्रथम दो साल (फरवरी 2014 तक) में मंत्रालय ने 40 मेगा फूड परियोजनाओं को सैद्धांतिक मंजूरी दी थी।
अभी तक (40 में से) सिर्फ 21 को ही आखिरी मंजूरी मिली है। इनमें से भी सिर्फ चार ही जमीन पर उतर पाई।
इसलिए मंजूर की गई परियोजनाओं और जमीन पर उतरने वाली परियोजनाओं का अनुपात काफी कम है।
(आंकड़ा आधारित, गैर लाभकारी, लोकहित पत्रकारिता मंच, इंडियास्पेंड के साथ एक व्यवस्था के तहत। ये लेखक के निजी विचार हैं)