नई दिल्ली, 11 अगस्त (आईएएनएस)। संसद का मानसून सत्र समाप्त होने में दो दिन शेष रह गए हैं और लगभग पूरा का पूरा सत्र व्यवधान की भेंट चढ़ गया। मंगलवार को सरकार ने किसी तरह राज्यसभा में भारी शोर-शराबे के बीच वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक पेश कर दिया है।
केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने राज्यसभा में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से संबंधित संविधान संशोधन विधेयक पेश कर दिया।
राज्यसभा की प्रवर समिति की रपट आने के बाद विधेयक पेश किया गया, लेकिन कांग्रेस के पुरजोर विरोध किए जाने पर उपसभापति पी.जे. कुरियन ने सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी।
कांग्रेस सदस्यों के सभापति के आसंदी के सामने इकाट्ठा होकर हंगामा करने पर जेटली ने कहा कि विरोध प्रदर्शन का मकसद देश के आर्थिक विकास को ठप करना है।
वित्तमंत्री ने कहा, “असली मकसद यह है कि वे आर्थिक विकास रोकना चाहते हैं। वे नहीं चाहते कि भारतीय अर्थव्यवस्था में विकास हो। इसलिए वे जीएसटी विधेयक को पारित होने से रोकने के लिए एक के बाद एक कारण बताते रहते हैं।”
उन्होंने कहा, “हर राजनीतिक पार्टी इसके पक्ष में है और कांग्रेस यदि चाहती है कि देश की विकास की गति धीमी हो, तो उसे खुलकर यह बात कहनी चाहिए।”
विधेयक पेश करने का विरोध करते हुए कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा कि इस विधेयक पर चर्चा के लिए समय आवंटित नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा, “(इस विधेयक के लिए) समय नहीं आवंटित किया गया है। इसे बुलेटिन में शामिल नहीं किया गया है। कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) ने समय नहीं दिया है। यह नियम का उल्लंघन है।”
सरकार ने कहा कि बीएसी ने विगत सत्र में इस पर चर्चा के लिए चार घंटे आवंटित किए थे। इसके जवाब में शर्मा ने कहा कि उसका अब कोई मतलब नहीं, क्योंकि तब इसे प्रवर समिति को भेज दिया गया था।
विधेयक पेश होते ही कांग्रेस सदस्यों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। उन्होंने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के त्यागपत्र की मांग की।
इसके तुरंत बाद उपसभापति पी.जे. कुरियन ने दिनभर के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी।
जेटली ने संसद के बाहर संवाददाताओं से कहा कि कांग्रेस पार्टी के दो नेता गांधी परिवार के दो व्यक्तियों के अलावा और किसी को देश चलाते नहीं देख सकते।
जेटली ने कहा कि सरकार जीएसटी विधेयक पारित करने के हर विकल्प अपनाएगी। उन्होंने कहा कि बजट सत्र में जब विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजा गया था, तब इस पर सहमति थी कि इसे मानसून सत्र में पारित कर दिया जाएगा।
कांग्रेस नेताओं ने भाजपा के तीन नेताओं के त्यागपत्र की मांग के साथ लोकसभा में हंगामा किया।
आईपीएल मुद्दे पर किस तरह से बहस हो, इस पर भी काफी बहसबाजी हुई।
सरकार ने इसे नियम 193 के तहत चर्चा के लिए सूचीबद्ध किया था, जिसमें मतदान नहीं होता है। कांग्रेस ने हालांकि इस पर स्थगन प्रस्ताव के तहत चर्चा कराने की मांग की।
लोकसभा की कार्यवाही सुबह शुरू होते ही कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल के सदस्य अध्यक्ष की आसंदी के सामने जमा हो गए। वे तख्तियां हाथ में लेकर नारेबाजी करने लगे। हंगामे के बीच लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने इसे लोकतंत्र की हत्या तक कहा। उन्होंने लोकसभा टीवी से कहा कि इस प्रदर्शन को दिखाया जाए ताकि लोग यह सब देख सकें।
लोकसभा अध्यक्ष ने गत सप्ताह 25 कांग्रेसी सदस्यों को नियमों का पालन नहीं करने के लिए पांच दिनों के लिए निलंबित कर दिया था।