भोपाल, 11 अगस्त (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश की कांग्रेस इकाई ने राज्य के माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय भोपाल सहित विभिन्न संस्थानों में बीते 11 वर्षो (वर्ष 2004-15) में हुई नियुक्तियों की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराए जाने की मांग करते हुए आरोप लगाया है कि ये भर्तियां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार द्वारा अपनों को उपकृत करने या मोटी रकम लेकर की गई है।
कांग्रेस के प्रदेश कार्यालय में संवाददाताओं से चर्चा करते हुए मंगलवार को प्रदेश इकाई के मुख्य प्रवक्ता के.के. मिश्रा ने मुख्यमंत्री शिवराज द्वारा नियुक्तियों के लिए लिखी गईं तीन नोटशीट और भोपाल स्थित माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में नियुक्ति पाए 35 लोगों की सूची भी जारी की।
मिश्रा का आरोप है कि पत्रकारिता विश्वविद्यालय के अलावा राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, क्रिप्स, वन्या, सेडमेप, मेपआईटी व जनसंपर्क विभाग के अधीन माध्यम सहित कई और भी संस्थान हैं, जिनमें नियमों को दरकिनार कर मुख्यमंत्री और सरकार से जुड़े लोगों ने मनमाने तरीके से नियुक्तियां की हैं।
उन्होंने कहा कि नियुक्तियां पाए कई लोग भाजपा के केंद्रीय नेताओं के करीबी हैं और वे मुख्यमंत्री शिवराज व प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी के बीच सामंजस्य स्थापित करने का दायित्व निभाते हैं।
मिश्रा ने मुख्यमंत्री चौहान द्वारा अब से 12 वर्ष पूर्व 14 अप्रैल 2003 में दिए गए एक बयान का हवाला देते हुए कहा कि शिवराज ने तब माखनलाल विश्वविद्यालय की नियुक्तियों की सीबीआई से जांच की मांग की थी, लिहाजा अब वह मुख्यमंत्री हैं और इन नियुक्तियों की जांच कराएं। शिवराज तब भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) के राष्ट्रीय अध्यक्ष हुआ करते थे।
मिश्रा ने विभिन्न संस्थानों में कई भाजपा नेताओं और उनसे जुड़े लोगों की नियुक्ति का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कई लोग तो ऐसे हैं जो 70 वर्ष की आयु पार कर गए हैं, मगर नियुक्ति पाकर लाखों रुपये वेतन के तौर पर ले रहे हैं। इतना ही नहीं, माखनलाल विश्वविद्यालय के कई कर्मचारी एक तो मुख्यमंत्री की कृपा से नौकरी पाए हैं और दूसरी ओर पत्नी के नाम पर वेबसाइट व पत्रिकाएं चलाकर सरकार से लाखों रुपये का विज्ञापन हासिल कर रहे हैं।
मिश्रा का आरोप है कि व्यापमं घोटाले से दागदार हो चुकी छवि को चमकाने का जिम्मा मुख्यमंत्री ने गुजरात की एक कंपनी को दिया है। इस कंपनी से जुड़े लोग सरकारी अफसरों की बैठकों तक में मौजूद रहते हैं और इससे शासकीय कामकाज की गोपनीयता भंग हो रही है।
मुख्यमंत्री शिवराज और भाजपा की ओर से दिग्विजय सिंह के काल में पर्ची पर नियुक्तियां किए जाने के आरोप का जवाब देते हुए मिश्रा ने कहा कि दिग्विजय ने गरीबों, दलितों और अनुकंपा के आधार वालों की नियुक्तियां की थीं। ये नियुक्तियां पैसे लेकर नहीं, कैबिनेट की मंजूरी लेकर की गई, जबकि शिवराज ने पैसे लेकर नियुक्ति के आदेश जारी किए। दोनों में बड़ा फर्क है।