आसियान रिजनल फोरम (एआरएफ) की बैठक के दौरान वांग ने कहा कि चीन सच बोलना अपरिहार्य समझता है और दक्षिण चीन सागर मुद्दे पर अपने रुख को स्पष्ट करता है, जिसे कुछ देशों ने एआरएफ तथा पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के दौरान उठाया है।
उन्होंने कहा, “सबसे पहले तो दक्षिण चीन सागर में हालात स्थिर हैं और किसी बड़ी झड़प की कोई संभावना नहीं है। इसलिए चीनी किसी भी ऐसी बात और कार्य के खिलाफ हैं, जो मतभेदों को बढ़ाने वाला हो, गतिरोध पैदा करता हो और तनाव को प्रश्रय देता हो।”
मंत्री ने कहा कि दक्षिण चीन सागर में नौ-परिवहन को लेकर चीन के पास वही चिंताएं हैं, जो अन्य देशों के पास हैं, क्योंकि चीन का अधिकांश व्यापार समुद्री मार्ग से होता है। उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि नौ-परिवहन की महत्ता चीन के लिए भी उतना ही जरूरी है।
वांग ने कहा, “चीन हमेशा इस रुख पर अड़ा रहा है कि सभी पक्ष दक्षिण चीन सागर में नौ-परिवहन का इस्तेमाल अंतर्राष्ट्रीय कानून के आधार पर करें। दक्षिण चीन सागर में नौ-परिवहन तथा फ्लाईओवर की स्वतंत्रता बनाए रखने के लिए चीन अन्य पक्षों के साथ कार्य करने का इच्छुक है।”
नांशा द्वीप से संबंधित विवाद पर वांग ने कहा, “यह एक पुरानी समस्या है।”
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दक्षिण चीन सागर के द्वीपों पर चीन का अधिकार है, क्योंकि उन्हें सबसे पहले चीन ने ढूंढा था और द्वीपों का नामाकरण किया था।
चीन के मंत्री ने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध में विजय की 70वीं वर्षगांठ मना रहे हैं और 70 साल पहले नांशा तथा शीशा द्वीप को चीन ने जापान से वापस लिया था, जिस पर उसने अवैध तरीके से कब्जा कर लिया था।