द्वितीय विश्वयुद्ध खत्म होने के 70 साल पूरे होने पर जापानी प्रधानमंत्री शिंजो अबे एक बयान दे सकते हैं। संभावना जताई जा रही है कि यह बयान अगले हफ्ते दिया जा सकता है।
एक 16 सदस्यीय पैनल ने जापान के युद्धकालीन आक्रामक रुख और औपनिवेशिक शासन का जिक्र किया है लेकिन यह नहीं कहा है कि उस दौरान किए गए अत्याचारों के लिए अबे को माफी मांगनी चाहिए या नहीं।
चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा, “चीन और अन्य एशियाई देश जापानी नेता के आने वाले बयान पर नजदीकी निगाह रखे हुए हैं।” उन्होंने जापान से आग्रह किया कि वह अपने सैन्यवादियों की तरफ से दूसरे देशों पर थोपी गई जंगों की सच्चाई का सामना और आत्मनिरीक्षण करे।
हुआ ने कहा, “जापान को युद्ध की स्थिति और अपनी युद्धकालीन जवाबदेही के लिए साफ और सही संदेश दुनिया के सामने रखना चाहिए। इससे उसे अपने एशियाई पड़ोसियों और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का विश्वास जीतने में आसानी होगी।”
अबे ने कह चुके हैं कि वह अपने बयान में 1995 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मुरायामा के माफी मांगने वाले बयान का समग्रता में पालन करेंगे लेकिन ‘दिल की गहराइयों से माफी’ या ‘आक्रामक और औपनिवेशिक शासन’ जैसे शब्दों से दूर ही रहेंगे। अबे का कहना है कि आक्रमण की कोई ऐसी सार्वभौम परिभाषा नहीं है जो सब पर समान रूप से लागू होती है।