नई दिल्ली, 6 अगस्त (आईएएनएस)। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) सर्वोच्च न्यायालय को 11 अगस्त को बताएगा कि वह बिहार क्रिकेट संघ (बीसीए) का चुनाव करवाने के लिए न्यायाधीश धरम पाल सिन्हा को 10 लाख रुपये का भुगतान करेगा या नहीं।
उल्लेखनीय है कि विपक्षी धड़े द्वारा विरोध छोड़ने के बाद सात वर्ष के अंतराल पर न्यायाधीश सिन्हा के मार्गदर्शन में बीसीए के चुनाव करवाए गए।
न्यायमूर्ति मदन बी. लोकूर और न्यायमूर्ति आर. के. अग्रवाल की पीठ के समक्ष बीसीसीआई के वकील अमित सिबल ने कहा कि बीसीसीआई से निर्देश प्राप्त करने के बाद ही वह इस याचिका पर कोई जवाब दे सकेंगे। इसके बाद अदालत ने सुनवाई स्थगित कर दी।
सिबल ने हालांकि अदालत को यह भी बताया कि नियमों के अनुसार, राज्य क्रिकेट संघों में विरोधी गुटों के बीच की लड़ाई में बीसीसीआई हस्तक्षेप नहीं करता। साथ ही सिबल ने चुनाव के लिए सिन्हा को भुगतान किए जाने में हिचकिचाहट दिखाई।
बीसीए की ओर से वरिष्ठ वकील ए. के. सिन्हा ने अदालत को बताया कि एक प्रतिनिधि क्रिकेट संघ के न होने से बिहार में क्रिकेट बुरी तरह प्रभावित हुआ है और पिछले कई वर्षो से राज्य में एक भी प्रथम श्रेणी के मैच का आयोजन नहीं हुआ है।