धर्मशाला, 5 अगस्त (आईएएनएस)| तिब्बत की निर्वासित सरकार के निर्वाचित प्रमुख लोबसांग सांगे ने कहा है कि आज भी ‘मध्य मार्ग’ ही तिब्बत समस्या के हल के लिए सबसे बेहतर नीति है।
47 वर्षीय तिब्बती नेता ने कहा कि उनकी सरकार की नीति चीन सरकार से संपर्क बनाए रखकर मसले के हल के लिए बातचीत को दोबारा शुरू करने की है।
सांगे ने आईएएनएस से खास मुलाकात में कहा, “हमारी नीति आज भी ‘मध्य मार्ग’ की है। बातचीत को लेकर भी हमारे रुख में कोई बदलाव नहीं आया है।”
‘मध्य मार्ग’ की नीति तिब्बत मसले के हल को चीन के संविधान के दायरे में ही हल करने की पक्षधर है।
सांगे ने कहा कि यूरोपियन कौंसिल के अध्यक्ष और इससे पहले अमेरिका भी चीन से तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा या उनके प्रतिनिधियों से बातचीत शुरू करने का आग्रह कर चुके हैं।
सांगे ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद भी तिब्बत और चीन के अन्य हिस्सों में मानवाधिकार की स्थिति पर चिंता जता चुकी है।
दलाई लामा के पहले राजनैतिक उत्तराधिकारी सांगे ने साफ कहा कि अगर तिब्बत मसला शांतिपूर्वक सुलझाना है तो इसके लिए बातचीत ही एकमात्र रास्ता है।
सांगे से आईएएनएस ने पूछा कि पद संभालने के बाद से उनकी पहल क्या रही है। सांगे ने कहा, “दलाई लामा के आशीर्वाद और तिब्बतियों के समर्थन से 14वीं काशाग (कैबिनेट) अपनी सभी जिम्मेदारियों को निभाने में कामयाब रही है।”
तिब्बत में मानवाधिकारों की स्थिति पर उन्होंने कहा, “तुलकु तेनजिन देलेक रिनपोछे की मौत बहुत दुखद है। यह चीनी सरकार की सख्त नीतियों के लगातार जारी रहने का सबूत है।”
रिनपोछे तिब्बती धर्मगुरु थे। बीते माह जेल में उनकी मौत हो गई थी।
उन्होंने कहा कि तिब्बतियों की आस्था और विश्वास आज भी कायम है। भौतिक विकास के बावजूद वे आज भी दलाई लामा के लौटने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
सांगे ने माना कि तिब्बत में चीन सरकार ने काफी काम किया है लेकिन कहा कि अधिकांश विकास शहरी इलाकों में ही हुआ है और इसका भी लाभ चीनी प्रवासियों को ही मिला है।