नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के नेता बलबीर पुंज ने बॉलीवुड अभिनेता संजय दत्त को मिली पांच वर्ष की सजा माफ कराने को लेकर किए जा रहे बयानों पर कड़ी आपत्ति जताई है। भाजपा नेता कानून सभी के लिए एक समान है, फिर संजय दत्त की सजा क्यों माफ की जानी चाहिए। उनका कहना है कि अगर इस तरह सजा माफ होने लगी तो इससे लोगों में गलत संदेश जाएगा कि बड़े लोग अपराध करके बच जाते हैं।
पुंज ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मार्कंडेय काटजू के उस बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है जिसमें उन्होंने संजय दत्त की सजा को माफ करने के लिए महाराष्ट्र के गवर्नर से गुहार लगाने की बात कही थी। उन्होंने कहा कि काटजू ये भूल गए हैं कि वो अब सुप्रीम कोर्ट ने न्यायाधीश नहीं रहे। वो प्रेस काउंसिल के अध्यक्ष हैं। संविधान ने उनको जो काम दिया है उन कामों पर उनको ध्यान देना चाहिए। स
उन्होंने कहा कि कोर्ट ने सभी अवसर संजय दत्त को उपलब्ध कराए और उसके बाद फैसला सुनाया है। इस निर्णय का सम्मान किया जाना चाहिए। हालांकि उन्होंने संजय दत्त से अपनी पूरी सहानुभूति भी दिखाई।
इससे पूर्व भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष जस्टिस मार्कडेय काटजू ने महाराष्ट्र के राज्यपाल के. शंकर नारायणन से संजय दत्त को माफी देने की अपील की थी। शुक्रवार को समाजवादी पार्टी ने भी संजय दत्त को माफी देने की मांग की है। सपा की ओर से सांसद नरेश अग्रवाल ने कहा कि उनकी पार्टी संजय दत्त की माफी की समर्थक है।
वैसे गुरुवार को काटजू ने बयान में कहा था कि संजय दत्त को सिर्फ बगैर अनुमति के हथियार रखने का दोषी पाया गया है, 1993 के मुंबई ब्लास्ट में शामिल होने का नहीं। लिहाजा, संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत राज्यपाल को न्यूनतम सजा माफ करने का अधिकार है।
जस्टिस काटजू ने हत्या के दोषी ठहराए गए कमांडर नानावटी का उदाहरण भी दिया, जिसमें राज्यपाल ने माफी दे दी थी। उन्होंने कहा कि संजय दत्त का अपराध हत्या से कम ही संगीन है, इसलिए राज्यपाल उन्हें माफ कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने संजय दत्त को बिना लाइसेंस के हथियार रखने के जुर्म में पांच साल की सजा सुनाई है।
पीसीआई अध्यक्ष ने कहा कि आर्म्स एक्ट की धारा 25 (1-ए) के मुताबिक यदि किसी शख्स को बिना लाइसेंस के गैर-कानूनी हथियार अपने पास रखने का दोषी पाया जाता है तो उसे कम से कम पांच साल और अधिक से अधिक 10 साल की सजा सुनाई जाएगी। उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश रह चुके काटजू ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत माफी देने का अधिकार न्यायिक शक्ति से अलग है क्योंकि किसी को अदालत द्वारा न्यूनतम सजा सुनाए जाने के बावजूद राज्यपाल या राष्ट्रपति को यह अधिकार है कि वह दोषी की सजा माफ कर दें या सजा कम कर दें।