नई दिल्ली, 3 अगस्त (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि पूर्व न्यायाधीश मार्के डेय काटजू द्वारा महात्मा गांधी को ब्रिटिश एजेंट और नेताजी सुभाष चंद्र बोस को जापानी एजेंट कहने पर संसद की ओर से की गई उनकी निंदा से उनकी अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार का हनन नहीं हुआ है और न ही उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची है।
न्यायमूर्ति टी. एस. ठाकुर की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने मामले की सुनवाई आगे जारी रखने पर सहमति जताते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता फली नरीमन को इस मामले में न्यायालय का मित्र नियुक्त किया। काटजू के वकील गोपाल सुब्रमण्यम ने न्यायालय से कहा था कि काटजू को अपनी बात रखने का मौका दिए बिना संसद उनकी निंदा नहीं कर सकता।
काटजू सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एवं भारतीय प्रेस परिषद के पूर्व अध्यक्ष रहे हैं। उन्होंने अपने ब्लॉग में महात्मा गांधी को ब्रिटिश एजेंट और नेताजी सुभाष चंद्र बोस को जापानी एजेंट बताया था।
राज्यसभा एवं लोकसभा ने सर्वसम्मति से निंदा प्रस्ताव परित कर उनकी इस टिप्पणी की भर्त्सना की थी।