Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/load.php on line 926

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826
 देवी मां के दरबार में हो बेड़ा पार | dharmpath.com

Tuesday , 26 November 2024

ब्रेकिंग न्यूज़
Home » धर्मंपथ » देवी मां के दरबार में हो बेड़ा पार

देवी मां के दरबार में हो बेड़ा पार

maaर्मिक भावना, आपसी सौहार्द और निश्छल प्रेम की त्रिवेणी हरियाणा प्रदेश के लोगों में सदा अनवरत रूप से बहती रही है। इस प्रदेश की धरा पर स्वयं भगवान कृष्ण ने कुरुक्षेत्र में महाभारत के युद्ध में अर्जुन को गीता का संदेश देकर पूरे विश्व को धर्म व कर्म का मर्म समझाया। वर्षो का इतिहास भी इस प्रदेश की धार्मिक व सांस्कृतिक समृद्धि का गवाह रहा है।

हरि के प्रदेश हरियाणा में बने अनेक धार्मिक स्थल विभिन्न देवी-देवताओं में यहां के लोगों की श्रद्धा और विश्वास का प्रत्यक्ष प्रमाण हैं। गुड़गांव से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर गुड़गांव-सोहना मार्ग पर दक्षिण दिशा में स्थित अलीपुर-घामड़ौज गांवों के बीच बना देवी मां का मंदिर भी अनेक श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक है। देवी मां का यह भव्य मंदिर अरावली की पहाडि़यों की तलहटी में स्थित है। इस मंदिर के पश्चिम में फैले सघन वन और अरावली की पहाडि़यां प्रकृति का अद्भुत मनोरम स्थल प्रतीत होती हैं। इन पहाडि़यों में एक दर्रा-सा है जिसे लोग चोर घट्टी या चोर घाटी कहते हैं। क्षेत्र में प्रचलित दंतकथा के अनुसार लोगों का मानना है कि पहाड़ में से एक दिन वहां से गुजर रहे किसी व्यक्ति को आवाज सुनाई दी कि जाने वाले रुको और मुझे यहां से निकालो तथा मेरा इस स्थान पर एक मंदिर बनवा दो जिससे सबका कल्याण होगा। उस राहगीर ने आवाज आने वाले स्थान पर जाकर देखा कि दो पत्थरों के बीच मां शेरांवाली की एक चमकदार मूर्ति पड़ी हुई थी। उस व्यक्ति ने मूर्ति को उठाया और गांव वालों को मूर्ति दिखाकर सारा वृत्तांत सुनाया। मूर्ति की दिव्यता को देखकर आस्थावान लोगों ने उस स्थान पर एक मंदिर का निर्माण करवाकर देवी मां की मूर्ति को उसमें स्थापित करवाया और पूरी श्रद्धा से देवी मां की पूजा-अर्चना करने लगे। देवी मां की मूर्ति की अद्भुत चमक की चर्चा धीरे-धीरे चारों ओर फैलने लगी तो कुछ चोरों ने इस चमकदार मूर्ति को चुराने की कोशिश की। बुजुर्ग श्रद्धालुओं का मानना है कि जब चोर देवी मां की मूर्ति चुराकर वहां से जाने लगे तो वहीं पर अंधे हो गए और देवी मां के मंदिर के गर्भगृह के चारों ओर बने प्रदक्षिणा पथ में ही सारी रात चक्कर काटते रहे।

सुबह पुजारी के मंदिर में आने और पुजारी की आवाज सुन दोनों गांवों के लोगों के मंदिर की ओर दौड़ने पर चोर देवी मां की मूर्ति वहीं छोड़कर भागने लगे तो उन्हें मूर्ति छोड़ते ही दिखाई देने लगा और वे उस दर्रे की ओर दौड़ पड़े तथा ओझल हो गए। तभी से उस घाटी का नाम चोर घाटी पड़ गया। देवी मां के इस भव्य मंदिर के दक्षिण हिस्से में एक कदम का पेड़ है जो बहुत प्राचीन बताया जाता है।

इस मंदिर का एक भव्य द्वार घामड़ौज गांव की तरफ है तो दूसरा अलीपुर गांव की ओर है। मंदिर के उत्तर में एक कच्चा तालाब बनाया गया है और उसी दिशा में बाबा भैरव और शनिदेव का मंदिर भी स्थित है। लोगों का मानना है कि शुरू में घामड़ौज गांव के किसी श्रद्धालु ने यह मंदिर बनवाया था लेकिन बाद में दोनों गांवों के श्रद्धालुओं ने मिलकर इस मंदिर को भव्य रूप प्रदान किया। देवी मां के इस भव्य मंदिर में नवरात्रों में सप्तमी-अष्टमी को विशाल मेला लगता है। दोनों नवरात्रों पर यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ मां के दरबार में मन्नतें मांगने आती है। अनेक श्रद्धालु मन्नतें पूरी होने पर यहां आकर भंडारा भी लगाते हैं। अलीपुर और घामड़ौज गांवों के बीच में स्थित देवी मां के इस मंदिर के प्रति आसपास के लोगों की यह अगाध श्रद्धा ही है कि अपने हर शुभ कार्य से पहले देवी मां के चरणों में शीश झुकाना नहीं भूलते। मंदिर के पुजारी सतपाल शर्मा का कहना है कि मंदिर में सुबह-शाम की जाने वाली आरती में अनेक श्रद्धालु देवी मां की महिमा का गुणगान करते हैं। दरबार में आकर आशीर्वाद लेने वाले हर श्रद्धालु का दुख दूर कर देवी मां उनका बेड़ा पार लगाती हैं। विभिन्न क्षेत्रों से नव विवाहित जोड़े भी मंदिर में आकर पूजा-अर्चना कर अपने सुखमय दांपत्य जीवन की कामना करते हैं। देवी मां में अटूट विश्वास के कारण इस भव्य मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।

देवी मां के दरबार में हो बेड़ा पार Reviewed by on . र्मिक भावना, आपसी सौहार्द और निश्छल प्रेम की त्रिवेणी हरियाणा प्रदेश के लोगों में सदा अनवरत रूप से बहती रही है। इस प्रदेश की धरा पर स्वयं भगवान कृष्ण ने कुरुक्ष र्मिक भावना, आपसी सौहार्द और निश्छल प्रेम की त्रिवेणी हरियाणा प्रदेश के लोगों में सदा अनवरत रूप से बहती रही है। इस प्रदेश की धरा पर स्वयं भगवान कृष्ण ने कुरुक्ष Rating:
scroll to top