Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/load.php on line 926

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826
 संसद में हंगामा-सरकार और विपक्ष का पुराना खेल | dharmpath.com

Thursday , 30 January 2025

ब्रेकिंग न्यूज़
Home » ब्लॉग से » संसद में हंगामा-सरकार और विपक्ष का पुराना खेल

संसद में हंगामा-सरकार और विपक्ष का पुराना खेल

July 21, 2015 7:38 am by: Category: ब्लॉग से Comments Off on संसद में हंगामा-सरकार और विपक्ष का पुराना खेल A+ / A-

0,,17638871_303,00

संसद का मॉनसून सत्र इक्कीस जुलाई से शुरू हो रहा है और अब तक के संकेतों के आधार पर कहा जा सकता है कि इसके सुचारू रूप से चलने की संभावना कम है. संसद के काम में बाधा डालने की परिपाटी प्रधानमंत्री की पार्टी ने भी डाली है.

पुरानी कहावत है कि जैसा बोओगे, वैसा काटोगे. विपक्ष में रहते हुए भारतीय जनता पार्टी ने जैसा गैरजिम्मेदाराना, अमर्यादित और अलोकतांत्रिक आचरण किया था और संसद न चलने देने को बाकायदा विरोध की अपनी घोषित बना दिया था, अब उसे उसी का फल भोगना पड़ रहा है. लेकिन शायद लोकतांत्रिक राजनीति की यह अनूठी विशेषता है कि इसमें विपक्ष में रह कर जो काम किया जाता है, सत्ता में आते ही उसी की आलोचना की जाती है. इसका उल्टा भी सही है कि सत्ता पक्ष के जिस काम की विपक्ष आलोचना करता है, सत्ता में आते ही वह वही काम करने लगता है जिसकी कल तक वह आलोचना कर रहा था. इस समय भाजपा के साथ यही हो रहा है.

आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सर्वदलीय बैठक में इसीलिए विपक्ष को इस बात के लिए मनाने में विफल रहे कि संसद की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलने दिया जाए क्योंकि उनकी पार्टी भाजपा जब विपक्ष में थी, तब वह कांग्रेस के इसी तरह के अनुरोध को हमेशा ठुकराया करती थी. यही नहीं, उसके शीर्ष नेता बाकायदा संवाददाता सम्मेलन करके घोषणा करते थे कि संसद ठप्प की जाएगी. आज प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्ष को यह याद दिलाया कि संसद को चलाना सरकार और विपक्ष दोनों की “साझा जिम्मेदारी” है, लेकिन जब भाजपा विपक्ष में थी तो उसके शीर्ष नेता संसद चलाने की जिम्मेदारी केवल सरकार की बताया करते थे. यही नहीं, किसी भी घोटाले की जरा-सी भी भनक पड़ते ही वे तत्काल संबंधित मंत्री के ही नहीं, तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस्तीफे की भी मांग उठा दिया करते थे.

लेकिन अब भाजपा विपक्ष की यह मांग मानने को तैयार नहीं कि व्यापमं घोटाले में फंसे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और ललित मोदी कांड में फंसी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे इस्तीफा दें. इसी तरह वह भूमि अधिग्रहण विधेयक का भीषण विरोध होने के बावजूद उसमें बदलाव करने को तैयार नहीं है. आज लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने इस विधेयक पर विचार कर रही संयुक्त संसदीय समिति का कार्यकाल 3 अगस्त तक बढ़ा दिया. समिति को मॉनसून सत्र शुरू होने के पहले ही दिन अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी.

कार्यकाल में इस बढ़ोतरी से बहुत क्षीण-सी आशा बंधती है कि शायद भूमि अधिग्रहण के विवादास्पद मुद्दे पर सरकार और विपक्ष के बीच किसी प्रकार की सहमति बनने की स्थिति बन रही हो. इस समिति के अध्यक्ष भाजपा के सुरिंदर सिंह अहलूवालिया हैं. श्रम कानूनों में बदलाव हो या जीएसटी जैसे टैक्स के बारे में विधेयक, विपक्ष में रहते हुए भाजपा जिन बातों का बिला सोचे-समझे विरोध करती थी, आज वह उन्हीं की सबसे बड़ी पैरोकार बनी हुई है. अब उसे समझ में आ रहा है कि संसद ही नहीं, सरकार भी बिना विपक्ष के सकारात्मक सहयोग के नहीं चलाई जा सकती.

संसद की कार्यवाही पूरी तरह से ठप्प न होने के बारे में कुछ उम्मीद इस बात से भी बंधती है कि केवल कांग्रेस ही भूमि अधिग्रहण विधेयक को पूरी तरह से ठुकराने और विपक्ष की मांगें न माने जाने की शक्ल में संसद को पूरी तरह से ठप्प करने के पक्ष में है. अन्य पार्टियों की राय है कि यदि सरकार विपक्ष की कुछ बातें मानने को तैयार है तो विपक्ष को भी सरकार की कुछ बातें मान लेनी चाहिए और संसदीय कामकाज को एक सीमा तक ही बाधित करना चाहिए. लेकिन इसके साथ ही यह भी सही है कि लोकसभा में कांग्रेस के चौवालीस सदस्य हैं और यह संख्या इतनी कम भी नहीं कि सदन की कार्यवाही को ठप्प न किया जा सके. इस समय स्थिति यह है कि आज वित्त मंत्री अरुण जेटली ने श्रम सुधारों में बदलाव की वकालत की लेकिन उन्हीं के संघ परिवार की सदस्य ट्रेड यूनियन भारतीय मजदूर संघ इन श्रम सुधारों का विरोध कर रही है. ऐसे में लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब भाजपा अपने संघ परिवार के सदस्यों को ही अपनी बात न समझा सकी, तो विपक्ष को समझाने की उम्मीद कैसे कर सकती है?

ब्लॉग: कुलदीप कुमार

संसद में हंगामा-सरकार और विपक्ष का पुराना खेल Reviewed by on . [box type="info"]संसद का मॉनसून सत्र इक्कीस जुलाई से शुरू हो रहा है और अब तक के संकेतों के आधार पर कहा जा सकता है कि इसके सुचारू रूप से चलने की संभावना कम है. स [box type="info"]संसद का मॉनसून सत्र इक्कीस जुलाई से शुरू हो रहा है और अब तक के संकेतों के आधार पर कहा जा सकता है कि इसके सुचारू रूप से चलने की संभावना कम है. स Rating: 0
scroll to top