वाराणसी, 19 जुलाई (आईएएनएस)| गंगा तट पर बसी प्रचीन नगरी बनारस को चमकाने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बीच शह-मात का खेल जारी है। केंद्र सरकार जहां बनारस के घाटों को चमकाने में जुटी हुई है, वहीं दूसरी ओर उप्र सरकार यहां प्रदेश का पहला जैन सर्किट विकसित कर मोदी से दो कदम आगे निकलने की कोशिश में जुटी है।
राज्य सरकार 500 करोड़ रुपये की लागत से जैन सर्किट विकसित करने जा रही है। उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग के अधिकारियों की मानें तो प्रदेश सरकार बनारस में जैन सर्किट बनाने पर प्रथम चरण में 25 करोड़ रुपये खर्च करेगी।
दरअसल, वाराणसी के विकास में लगी केंद्र सरकार के नक्शे कदम पर चलते हुए अखिलेश सरकार ने बनारस में प्रदेश का पहला जैन सर्किट बनाने का खाका तैयार किया है। इस मास्टर प्लान को अमली जामा पहनाने का जिम्मा उप्र के पर्यटन मंत्री ओम प्रकाश सिंह को सौंपा गया है।
हाल ही में वाराणसी आए पर्यटन मंत्री ओम प्रकाश सिंह ने पाश्र्वनाथ मंदिर में जैन बंधुओं के बीच घोषणा की थी कि इस योजना मद में पहली किस्त 25 करोड़ रुपये जारी किए जाएंगे।
पर्यटन विभाग की इस योजना को लेकर एक अधिकारी ने नाम न जाहिर न करने की शर्त पर बताया, “जैन सर्किट में पड़ने वाले जैन र्तीथकरों के जन्मस्थानों को पर्यटन की दृष्टि से इस तरह विकसित किया जाएगा कि देश ही नहीं, विदेशी पर्यटक भी उस ओर आकर्षित हों और उप्र की छवि में बदलाव आए।”
अधिकारी ने बताया कि इस परियोजना पर 500 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। अहमदाबाद के आनंदजी-कल्याणजी ट्रस्ट इस सर्किट को विकसित करने का जिम्मा लेने को तैयार दी है। इसको लेकर सहमतिपत्र (एमओयू) पर इस महीने के अंत तक हस्ताक्षर होने की संभावना है।
अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे चौबेपुर के चंद्रावती इलाके को जैन तीर्थ घोषित करें। सर्किट का प्रारूप तैयार करने वाले प्लानर इंडिया के निदेशक श्यामलाल सिंह ने बताया कि जैन सर्किट विकसित करने पर जल्द ही काम शुरू होगा। इसको गंगा की कटान से बचाने के लिए रिटेनिंग वॉल, पक्के घाट के साथ ही 30 एकड़ क्षेत्र में हरियाली भी फैलाई जाएगी।