दरअसल उत्तर प्रदेश विधानसभा सदस्य दलवीर ने सदन में काली नदी के प्रदूषण पर नगर विकास मंत्री आजम खां से जवाब मांगा। विधायक ने पूछा था कि काली में अलीगढ़ से पहले मेरठ, खतौली, बुलंदशहर, मोदीनगर एवं हापुड़ में सीवरेज शोधन की स्थिति क्या है। प्रदेश सरकार ने क्या कदम उठाए हैं और कब तक सफाई हो जाएगी।
विधानसभा में कठघरे में खड़ी सरकार ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के तमाम जिलों से नालों एवं उद्योगों से निकलने वाले वेस्टेज एवं अन्य कचरों की जानकारी मांगी। पखवाड़ा से ज्यादा वक्त बीतने के बावजूद काली नदी में गिरने वाले नालों, औद्योगिक प्रदूषण एवं सफाई के लिए उठाए गए कदमों पर कोई जानकारी नहीं दी गई।
विधानसभा में प्रमुखता से उठाए गए मुद्दे पर अधिकारियों ने कुंडली मार दी। आखिर प्रदेश शासन के उप सचिव वेदप्रकाश शर्मा ने अब जिलाधिकारी मेरठ, हापुड़ एवं बुलंदशहर को पत्र लिखकर काली नदी में प्रदूषण, उसके कारण एवं निवारण की रिपोर्ट तत्परता से भेजने के लिए कहा है।
हालांकि इससे पहले भी काली नदी पर विधानसभा से जारी तमाम निर्देशों को प्रशासन कूड़ेदान में डाल चुका है। गत वर्ष विधायक सत्यप्रकाश अग्रवाल ने भी काली नदी की रिपोर्ट सदन में पेश की थी, जिस पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने संज्ञान लेने का निर्देश दिया, लेकिन तब भी बात सिर्फ सदन में ही उठकर रह गई।
ये हाल तब है जब सदन में उठे हर मामले को लेकर धारणा रही है कि उस पर कार्यवाही जरूर होगी, क्योंकि ये सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष के सामने आ चुका होता है।