चेन्नई, 11 जुलाई (आईएएनएस)। मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश पी.देवदास ने सर्वोच्च न्यायालय के एक फैसले का हवाला देते हुए 18 जून को दिए गए अपने उस फैसले को वापस ले लिया, जिसमें उसने एक दुष्कर्मी को पीड़िता से समझौते के लिए जमानत दी थी।
न्यायाधीश देवदास ने शुक्रवार को दिए अपने फैसले में कहा कि एक जुलाई को मध्य प्रदेश राज्य बनाम मदनलाल मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले के आलोक में मद्रास उच्च न्यायालय पक्षों के बीच समझौता कराने वाले 18 जून के निर्देश को वापस लेता है।
न्यायाधीश ने कहा, “साथ ही याचिकाकर्ता को दी गई अंतरिम जमानत रद्द की जाती है।”
सर्वोच्च न्यायाल ने कहा था कि दुष्कर्म के मामले में पीड़िता तथा दुष्कर्मी के बीच शादी के वादे के नाम पर मध्यस्थता या समझौता नहीं हो सकता।
उल्लेखनीय है कि बीते 18 जून को जमानत तथा सजा के निलंबन के लिए दुष्कर्म के आरोपी वी.मोहन की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश देवदास ने आरोपी तथा पीड़िता को समझौते का निर्देश दिया था।
मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश के मुताबिक, “न्यायालय मध्यस्थता केंद्र के प्रभारी को निर्देश देता है कि वह दोनों पक्षों के बीच समझौते को रोकें। न्यायालय के रजिस्ट्रार न्यायालय के आदेश का पालन सुनिश्चित करें।”
आरोपी मोहन के वकील ने कहा है कि आरोपी 13 जुलाई को निचली अदालत के समक्ष समर्पण करेगा।
मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा 18 जून को दिए गए फैसले पर पूरे देश में बवाल हुआ था। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस फैसले को पीड़िता को नीचा दिखाने वाला करार दिया था।
उल्लेखनीय है कि दुष्कर्म पीड़िता ने आरोपी के साथ समझौते का विरोध किया था, क्योंकि घटना के बाद एक बार भी वह उससे नहीं मिला और दुष्कर्म के बाद पैदा हुए बच्चे को भी उसने अपनाने से इंकार कर दिया था। डीएनए जांच में इस बात का खुलासा हुआ कि बच्चे का पिता मोहन है।