गुड़गांव शहर के बीचों-बीच बस अड्डे के निकट स्थित भगवान महावीर का अभ्युदय अतिशय क्षेत्र भी भगवान महावीर के प्रति लोगों की श्रद्धा और धार्मिक भावना का जीता जागता प्रमाण है।
वर्ष 1975 में इस क्षेत्र का नाम भगवान महावीर पार्क था जिसे वर्ष 1995 में जैन महासभा को सुपुर्द कर दिया गया। आरंभिक रूप में यह पार्क अत्यंत दयनीय हालत में था परंतु बाद में जैन महासभा के अथक प्रयासों से इसकी कायापलट की गई। बाद में जैन महासभा के प्रधान वी.के. जैन ने एक देव-स्वप्न से प्रेरित होकर भगवान महावीर पार्क में मंदिर का निर्माण करवाया। इस मंदिर का निर्माण भगवान महावीर के 2500वें निर्वाण वर्ष के अवसर पर किया गया। पंचकल्याणक प्रतिष्ठा के अवसर पर उपाध्याय आनंद सागर महाराज मौन प्रिय ने अनेक अतिशय देखे तथा भगवान महावीर पार्क को भगवान महावीर का अभ्युदय अतिशय क्षेत्र घोषित किया गया। यहां आने वाले साधकों का मानना है कि इस अभ्युदय अतिशय क्षेत्र में आकर नतमस्तक होने से हर मनोकामना पूर्ण होती है। इस क्षेत्र में प्रवेश करते ही हर साधक की नजर एक ही घाट पर पानी पीते हुए दिखाए गए गाय और सिंह के दृश्य पर पड़ती है जो सबको अहिंसा के मार्ग पर चलने का संदेश तो देता ही है, साथ ही भगवान महावीर के समय में समस्त वातावरण के अहिंसामय होने को भी दर्शाता है।
इस अभ्युदय क्षेत्र में बने मंदिर के ऊपरी भाग में अनेक छोटी-बड़ी प्रतिमाएं लगी हुई हैं। सबसे ऊपर स्वर्ण परत युक्त पाषाण के कमल पर विराजमान भगवान महावीर की प्रतिमा सुशोभित है जिसके ऊपर भव्य छत्र विद्यमान है। उसके बाद नीचे की ओर भव्य वेदिका भी दर्शनीय है। यह वेदिका भी पाषाण निर्मित है जिसमें भगवान पार्श्वनाथ के साथ अष्टधातु से निर्मित 33 भव्य प्रतिमाएं सबको अपनी ओर आकर्षित करती हैं। भगवान पार्श्वनाथ की वेदिका की बायीं ओर माता पद्मावती भी वेदिका में विराजमान हैं। यहां माता के दर्शनों के लिए हर शुक्रवार को भक्त आते हैं और चोला चढ़ाते हैं। मां पद्मावती की दायीं ओर समस्त क्षेत्र के रक्षक माने जाने वाले क्षेत्रपाल बाबा विराजमान हैं।
मां पद्मावती के बायीं ओर कलीकुंड यंत्र विराजमान है जिसका जैन दर्शन में काफी महत्व है। मंदिर परिसर में ही महावीर सभागार भी है जिसमें कीर्तन व भागवत कथाएं आदि होते रहते हैं। यहां हर वर्ष नि:शुल्क कांवड़ शिविर लगता है और हजारों शिवभक्त आकर विश्राम करते हैं। सभागार के बाहर बनी सुंदर पुष्प वाटिका हर किसी का मन मोह लेती है। इस अभ्युदय अतिशय क्षेत्र में बने मंदिर के पीछे पार्क वाले बाबा का मंदिर है जहां हर समुदाय के लोग पूजा-अर्चना करते हैं। यहां पर हर वर्ष चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को महावीर जयंती धूमधाम से मनाई जाती है तथा श्रावण मास में शुक्ल पक्ष के अंतिम शुक्रवार को मां पद्मावती का विशाल पूजन कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। इस दिन भक्त माता को चोला ओढ़ाकर और माता का पूजन कर अपने बिगड़े काम संवारने की मन्नतें मांगते हैं। मंदिर के पुजारी अशोक कुमार जैन का कहना है कि मंदिर में सुबह-शाम पूजन कार्य विधिवत् ढंग से संपन्न किया जाता है। इस अभ्युदय अतिशय क्षेत्र में स्थित महावीर पार्क में अनेक प्रकार के रंग-बिरंगे फूल और छायादार वृक्ष अपनी सुगंध और हरियाली से सबको प्रसन्न कर देते हैं।