नई दिल्ली। इटली के नौसैनिकों के भारत नहीं लौटने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपना लिया है। कोर्ट ने इटली के राजदूत के भारत छोड़ने पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने राजदूत को नोटिस जारी कर 18 मार्च तक जवाब देने को कहा है।
कोर्ट ने भारत में इटली के राजदूत डेनिले मंसिनी को 18 मार्च तक बिना उसकी इजाजत लिए देश नहीं छोड़ने को कहा है। कोर्ट का यह निर्देश केरल तट से लगे अरब सागर में दो भारतीय मछुआरों की हत्या के आरोपी इतालवी सुरक्षाकर्मियों को भारत न भेजने के इटली के फैसले के बाद आया है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 18 मार्च की तिथि निर्धारित की है।
कोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से इस मुद्दे पर हलफनामा दायर किए जाने के बाद इटली के राजदूत को यह निर्देश दिया है। सरकार ने हलफनामे में कोर्ट को बताया है कि इटली ने अपने मालवाहक जहाज के दो सुरक्षाकर्मियों को वापस भारत भेजने से मना कर दिया है, जिनके खिलाफ यहां मुकदमा चल रहा है।
बता दें इटली के मालवाहक जहाज एनरिका लेक्सी के दो सुरक्षा कर्मियों – मेस्सिमिलानो लाटोरे और सेलवाटोरे जिरोने को सुप्रीम कोर्ट ने उनके देश में 24-25 फरवरी को हुए चुनाव में मतदान के लिए जाने की अनुमति दी थी। कोर्ट को बताया गया था कि वे चार सप्ताह के भीतर भारत लौट आएंगे, जहां उनके खिलाफ मुकदमा चल रहा है। लेकिन भारत में इटली के दूतावास ने सोमवार को केंद्र सरकार से कहा कि सुरक्षाकर्मी नहीं लौटेंगे।
कल प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी इटली को सख्त चेतावनी दी थी। मनमोहन ने कहा था कि अगर इटली ने मछुआरों की हत्या के मामले में अभियुक्त दो इतालवी नौसैनिकों को सुनवाई के लिए भारत वापस नहीं भेजा तो आपसी संबंधों में उसे इसके परिणाम भुगतने होंगे।
इतालवी कमांडो को भारत सुनवाई के लिए नहीं भेजने के इटली सरकार के रवैये को एकदम अस्वीकार्य बताते हुए प्रधानमंत्री ने संसद में बयान में कहा कि इटली का यह रूख तमाम राजनयिक नियमों का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि इटली के मान्यता प्राप्त प्रतिनिधि ने भारत के सुप्रीम कोर्ट को एक लिखित वचन दिया है और उसका पालन नहीं करना भारत को कतई स्वीकार नहीं है