जिस समय चित्रकूट धाम बांदा मंडल की कमिश्नर कल्पना अवस्थी हमीरपुर नगर में विकास कार्यो का निरीक्षण कर रही थीं, उसी समय बर्बाद फसल के मुआवजे की चेक मांगने तहसीलदार हमीरपुर के यहां गया बद्रीप्रसाद निषाद (80) निवासी रमेड़ी तरौंस हमीरपुर को ऐसा सदमा लगा कि उसने तहसीलदार की चैखट पर दम तोड़ दिया।
यह बूढ़ा किसान आठ बीघे जमीन का काश्तकार था। उसके छह बेटियां हैं, जिनकी वह शादी हो चुकी है। बेटी कमला और दामाद बलवीर बूढ़े किसान के घर पर रह रहे हैं। बद्रीप्रसाद निषाद की पत्नी भी बीमार रहती है, जिसका इलाज चल रहा है।
ग्रामीण बताते हैं कि आठ बीघे की फसल आपदा में पूरी तरह से बर्बाद हो गई थी, जिससे बूढ़ा किसान परेशान था। सूबे की सरकार ने किसानों की मदद के लिए इस जनपद को एक अरब से ज्यादा की राशि अवमुक्त भी कर दी है, इसके बावजूद बड़ी तादाद में किसान मुआवजे की चेक पाने को तरस रहे हैं।
परिजनों के मुताबिक, बद्रीप्रसाद हमीरपुर सदर तहसील में अपनी मुआवजे की चेक मांगने गया था, जहां उसने तहसीलदार के कार्यालय में जाकर अपनी चेक के लिए हाथ जोड़े। इसी बीच इस बूढ़े किसान को चेक देने से मना कर लौट जाने को कहा गया तो वह वहीं पर सदमा खाकर नीचे गिर गया। बूढ़े किसान के नीचे गिरकर बेहोश होने से तहसील में हड़कंप मच गया।
तहसीलदार की गाड़ी से उसे आनन-फानन में सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। बूढ़े किसान की तहसीलदार की चौखट पर मौत होने की खबर सुनते ही परिजनों में कोहराम मच गया। परिजनों ने आरोप लगाया कि पिछले कई दिनों से कृषि निवेश की चेक लेने के लिए बद्रीप्रसाद तहसील सदर के चक्कर लगा रहा था, मगर हर बार उसे मायूसी मिलती थी।
परिजनों के मुताबिक, शनिवार को मुआवजे का चेक न मिलने की शिकायत करने के लिए वह तहसीलदार सदर के यहां गया था, जहां उसकी कोई बात नहीं सुनी गई, जिससे उसे सदमा लगा और उसकी जान चली गई।
तहसीलदार सदर सालिग राम का कहना है कि उनके पास किसान बद्रीप्रसाद निषाद आया था, मगर उसने कोई समस्या नहीं बताई। वह बीमार था, उसे इलाज के लिए सदर अस्पताल भिजवाया गया, जहां उसकी मौत हो गई।
इधर, लेखपाल राजकिशोर ने कहा कि बद्रीप्रसाद उनसे मिलने कभी नहीं आया। कृषि निवेश अनुदान व मुआवजे की राशि सीधे किसानों के खाते में भेजने का प्रावधान है।