लखनऊ/गोरखपुर, 20 जून (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने शनिवार को गोरखपुर को योग की गंगोत्री का दर्जा देने के साथ ही योग को धर्म से जोड़ने वालों पर कटाक्ष किया। राज्यपाल ने कहा कि योग को धर्म से जोड़ने वाले वास्तव में धर्म का अर्थ ही नहीं जानते।
राज्यपाल गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर प्रांगण में योग तथा महायोगी गोरक्षनाथ पर आयोजित गोष्ठी में शिरकत कर रहे थे।
भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के प्रतिनिधि ने योग को सभी के स्वस्थ जीवन के लिए अनिवार्य बताया और इस पर प्रसन्नता व्यक्त की कि भारत की परंपरा के योग को आज समूची दुनिया स्वीकार तथा अंगीकार कर रही है।
राज्यपाल ने गोरखपुर को योग की गंगोत्री बताते हुए कहा कि संतों-महंतों की इस धरती पर योग की परंपरा काफी समृद्ध है।
नाईक ने कहा कि योग अगर दुनिया को भारत की देन है तो क्रियात्मक योग के रूप में योग को लोकप्रिय बनाने वाले गुरु गोरक्षनाथ की साधनास्थली होने के नाते गोरखपुर योग का गोमुख है। यह यहां और उत्तर प्रदेश के लोगों के लिए गर्व का विषय है।
राज्यपाल ने कहा कि योग सभी की निरोग काया, निर्मल और शांत मन के लिए उपयोगी है। हमारी ऋषि परंपरा ने जिस चीज को हजारों वर्ष पूर्व साबित किया, आज पूरी दुनिया उसे स्वीकार कर रही है। संयुक्त राष्ट्रसंघ द्वारा घोषित अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस इसका सबूत है।
राज्यपाल ने इस अवसर पर कहा कि कुछ लोग आदतन हर चीज में गलती खोजते हैं। जिस योग की महत्ता को दुनिया के करीब दो सौ देश स्वीकार रहे हैं, उस पर आपत्ति क्यों? योग को धर्म से जोड़ने वाले धर्म का अर्थ भी नहीं जानते।