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 जल की रक्षा के लिये जल-सत्याग्रह की जरूरत; मंत्री श्री गौर की उपस्थिति में हुआ कथाकार ध्रुव शुक्ल का पाठ | dharmpath.com

Sunday , 24 November 2024

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जल की रक्षा के लिये जल-सत्याग्रह की जरूरत; मंत्री श्री गौर की उपस्थिति में हुआ कथाकार ध्रुव शुक्ल का पाठ

(भोपाल)नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री श्री बाबूलाल गौर ने कहा है कि आधुनिकता की दौड़ में प्रकृति से बढ़ती दूरी हमें अपनी संस्कृति एवं प्रकृति से काफी दूर ले जा रही है। यह दूरी अब प्राकृतिक आपदा के रूप में रोजमर्रा के जीवन में देखने को मिल रही है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण की रक्षा के लिये सड़कों पर किये जाने वाले सत्याग्रह के स्थान पर हमारे सत्याग्रह जल एवं प्रकृति के अन्य तत्वों के बीच होना चाहिये। श्री गौर आज भोपाल में कवि, कथाकार ध्रुव शुक्ल की जल-सत्याग्रह कथा पाठ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर मंत्री श्री गौर एवं साहित्यकार श्री शशांक ने ध्रुव शुक्ल के जीवन के 60 वर्ष पूरे होने के मौके पर प्रकाशित ‘षष्टि प्रवेश’ का विमोचन भी किया।

श्री गौर ने कहा कि जन-समुदाय को प्रेरित कर यदि किसी कार्य को करने की ठान ली जाये, तो कोई भी कार्य असंभव नहीं है। उन्होंने भगवान राम के वनवास के दौरान विभिन्न प्राणियों के साथ मिलकर किये गये संघर्षों एवं रामायण के विभिन्न प्रसंगों का उल्लेख भी किया।

कथाकार श्री ध्रुव शुक्ल ने महाकवि तुलसीदास के रामचरित मानस के अनेक प्रसंगों में जल के महत्व को अलग अंदाज में प्रतिपादित किया। उन्होंने कहा कि देश की पवित्र नदियों, तालाबों को इंजीनियरिंग से नहीं बल्कि श्रद्धा भाव से संरक्षित किया जा सकता है। जन-सामान्य में इसके लिये अलख जगाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हाल ही में महाकुंभ में 5 करोड़ से अधिक धर्म-प्रेमियों ने पवित्र नदी गंगा में डुबकी लगाई। यदि यही समुदाय गंगा की सफाई का बीड़ा उठाये तो किसी सरकारी प्रयास की जरूरत नहीं है। कार्यक्रम का संचालन पाक्षिक पहले पहल के सम्पादक श्री महेन्द्र गगन ने किया।

जल की रक्षा के लिये जल-सत्याग्रह की जरूरत; मंत्री श्री गौर की उपस्थिति में हुआ कथाकार ध्रुव शुक्ल का पाठ Reviewed by on . (भोपाल)नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री श्री बाबूलाल गौर ने कहा है कि आधुनिकता की दौड़ में प्रकृति से बढ़ती दूरी हमें अपनी संस्कृति एवं प्रकृति से काफी दूर ले जा (भोपाल)नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री श्री बाबूलाल गौर ने कहा है कि आधुनिकता की दौड़ में प्रकृति से बढ़ती दूरी हमें अपनी संस्कृति एवं प्रकृति से काफी दूर ले जा Rating:
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