आगरा, 16 जून (आईएएनएस)। मदर डेयरी के दूध के दो नमूने मानक पर खरे नहीं उतरे और एक में डिटर्जेट मिला पाया गया है। यह बात खाद्य सुरक्षा नियामक ने मंगलवार को कही। मदर डेयरी के एक अधिकारी ने हालांकि कहा कि कंपनी दूध की सख्त जांच करती है और खराब दूध मदर डेयरी का नहीं है।
आगरा के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) के प्रमुख राम नरेश यादव ने कहा कि आगरा से 70 किलोमीटर दूर बाह तहसील में मदर डेयरी के कलेक्शन सेंटर से नवंबर 2014 में दूध के दो नमूने लिए गए थे।
यादव ने आईएएनएस से कहा, “नमूने लखनऊ की प्रयोगशाला में भेजे गए, जिसने कहा कि दोनों ही नमूने मानक पर खरे नहीं हैं। कंपनी ने इस परिणाम को चुनौती देते हुए नमूनों को कोलकाता की प्रयोगशाला में भेजने की मांग की। वहां भी इनमें खराबी पाई गई। कोलकाता की प्रयोगशाला ने कहा कि एक नमूने में डिटर्जेट मिला हुआ है।”
मदर डेयरी के अधिकारी ने हालांकि कहा है कि पाउच में बेचा जा रहा दूध खराब नहीं है।
मदर डेयरी फ्रूट एंड वेजीटेबल प्राइवेट लिमिटेड के दुग्ध कारोबार के प्रमुख संदीप घोष ने आईएएनएस से कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि गांव से लिए गए नमूनों को मदर डेयरी का बताया जा रहा है।”
उन्होंने कहा, “मैं बताना चाहूंगा कि मदर डेयरी के दूध की चार चरणों में लेते समय, प्रसंस्करण के समय, बाजार में भेजते समय और बाजार में भी जांच की जाती है। संयंत्र में पहुंचने वाले दूध के हर टैंकर की 23 अलग-अलग तरह की जांच होती है।”
घोष ने कहा, “इन जांचों में दूध में पानी, यूरिया, डिटर्जेट, तेल जैसे पदार्थो की मिलावट की जांच की जाती है। खराब दूध का उपयोग नहीं किया जाता है। सभी गुणवत्ता मानकों पर खरा उतरने के बाद ही दूध को प्रसंस्करण के लिए स्वीकार किया जाता है और उसके बाद भी जांच की जाती है।”
कंपनी ने कहा कि एक जिम्मेदार कंपनी की तरह वह इक्के -दुक्के नमूनों की जांच नहीं करती, बल्कि दूध के सभी खेपों की जांच करती है।
उन्होंने कहा कि कंपनी खुद ही बाजार में पहुंचे हुए अपने दूध के नमूनों की भी जांच करती है।
घोष ने कहा कि रोज बाजार से करीब 100 नमूनों की जांच की जाती है।
अधिकारी ने कहा, “दिसंबर 2014 में हमने 10 टैंकर रद्द किए। रद्द टैंकरों वाले दूध संयंत्र परिसर में नहीं घुसने दिया गया और आपूर्तिकर्ता को भेज दिया गया।”