नई दिल्ली। केंद्र सरकार की तमाम चेतावनियों के बावजूद कार्रवाई न होने से बेखौफ एक हजार से ज्यादा आइएएस अधिकारियों ने 2012 के लिए भी तय सीमा में अचल संपत्ति का रिटर्न [आइपीआर] दाखिल नहीं किया। ब्योरा न देने वाले 1057 लोकसेवकों में सर्वाधिक 147 उत्तर प्रदेश कैडर के हैं।
सिविल सेवा नियमों के मुताबिक, सभी अफसरों को जनवरी से दिसंबर तक संपत्ति के रिटर्न का ब्योरा देना जरूरी होता है। ऐसा नहीं करने पर उन अधिकारियों की प्रोन्नति या उच्च स्तर के पदों पर नियुक्ति से वंचित किया जा सकता है। हालांकि अफसरों की बेफिक्री का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 107 आइएएस ऐसे भी हैं जिन्होंने 2011 का रिटर्न दाखिल नहीं किया, जबकि वर्ष 2010 का आइपीआर न देने वालों की तादाद 198 है।
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के आंकड़ों के अनुसार, अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम, केंद्र शासित प्रदेशों के कैडर के 114, मणिपुर-त्रिपुरा के 100, जम्मू-कश्मीर के 96 और मध्य प्रदेश कैडर के 88 अधिकारियों का नाम सूची में शामिल है। डिफाल्टर अफसरों की सूची में मध्य प्रदेश कैडर के निलंबित आइएएस दंपति अरविंद और टीनू जोशी का भी नाम है। 1979 बैच के जोशी दंपति फरवरी 2010 में उस समय सुर्खियों में आए थे जब उनके ठिकानों पर छापे के दौरान आयकर विभाग 350 करोड़ से अधिक की संपत्ति का पता चला था।
कर्नाटक के 58, आंध्र प्रदेश [53], पंजाब [48], ओडिशा[47], पश्चिम बंगाल [45], हिमाचल प्रदेश[40], हरियाणा [35], झारखंड [25], असम-मेघालय[23], राजस्थान [22], तमिलनाडु [20], महाराष्ट्र [17], नगालैंड [16], गुजरात[14], बिहार [13], केरल [10], उत्तराखंड व छत्तीसगढ़ [9] और सिक्किम कैडर के आठ अफसरों का नाम है। देश में इस वक्त आइएएस के कुल 6217 स्वीकृत पद हैं जिसमें 1339 प्रोन्नति के पद हैं। इसमें से केवल 4737 पदों पर ही अफसर नियुक्त हैं। प्रशिक्षण एवं कार्मिक विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि संपत्ति का ब्योरा न देने वाले अफसरों के लिए सभी कैडरों को एक सकुर्लर भेज दिया गया है।