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नेकचंद की कलाकृतियां देख चकित रह जाते हैं लोग

June 12, 2015 10:52 pm by: Category: फीचर Comments Off on नेकचंद की कलाकृतियां देख चकित रह जाते हैं लोग A+ / A-

INDIA_GARDEN_1__2436793fचंडीगढ़, 12 जून (आईएएनएस)। अपनी कलाकृतियों से चंडीगढ़ को अंतर्राष्ट्रीय मानचित्र पर पहचान दिलाने वाले नेकचंद का गुरुवार देर रात निधन हो गया। कचरे से कलाकृतियां बनाने वाले नेकचंद ने बीते चार दशक में चंडीगढ़ को एक अलग ही पहचान दी और लोगों को चकित कर दिया।

चंडीगढ़ के रॉक गार्डन का निर्माण करने वाले नेकचंद का 90 वर्ष की उम्र में निधन हो गया।

उनके परिवार ने बताया कि हृदयाघात के कारण यहां एक अस्पताल में उनका निधन हो गया।

पिछले साल दिसंबर में ही उन्होंने अपना 90वां जन्मदिन मनाया था।

स्वतंत्रता के बाद जिस दौरान आधुनिक भारत के प्रतीक के रूप में चंडीगढ़ को विकसित किया जा रहा था, उस दौरान नेकचंद ने सड़क निरीक्षक के रूप में काम कर अपना जीवन यापन कर रहे थे। नेकचंद ने कचरे से कुछ बनाने के विचार को मूर्तरूप दिया।

उनकी कलाकृतियों में पूरी तरह से अपशिष्ट पदार्थो का उपयोग किया गया। चट्टान और पत्थर, टूटी हुई चूड़ियां, लाइट के स्विच, इलेक्ट्रॉनिक सामान, टूटे हुए प्लेट और चीनी मिट्टी की सामग्री, टूटे हुए बास-बेसिन और मार्बल आदि सभी जो दूसरों के लिए कचरा था उसका नेकचंद ने अपनी कलाकृतियों में उपयोग किया।

यहां तक कि पूरे क्षेत्र से कुछ लोग और संस्थाएं रॉक गार्डन में कचरा दान करने आते थे।

शुरुआती कुछ सालों में नेकचंद कचरे से कलाकृतयिां बनाने के अपने सपने को गुपचुप तरीके से अंजान देते रहे। चंडीगढ़ के उत्तरी हिस्से के जंगलों में वह अधिकारियों और जनता से छिपाकर कई कलाकृतियां बना चुके थे।

वह कई सालों तक साइकिल से चंडीगढ़ में घूम-घूम कर कचरा इकट्ठा किया करते थे और बाद में उनके कलाकृतियां बनाते थे।

1970 के दशक के मध्य में नेकचंद की कृतियों को पहचाना गया और इसे रॉक गार्डन का नाम दिया गया। इस उद्यान का आधिकारिक रूप से अक्टूबर 1976 में उद्घाटन किया गया।

मौजूदा समय में रॉक गार्डन चंडीगढ़ की सुकना झील के आसपास के कई एकड़ के इलाके में फैला हुआ है। इस पार्क के अब तीन चरण हैं। तीनों चरणों में नेकचंद की कलाकृतियां स्थापित की गई हैं। कुछ जगहों पर जानवरों और मनुष्यों का चित्रण किया गया है तो कहीं पर गांव के दृश्यों को दर्शाया गया है।

नेकचंद को उनके कलात्मक कार्य के लिए भारत सरकार द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्हें 1980 में पार्क का रचनात्मक निर्देशक बनाया गया था। वह अपने निधन के समय तक इस पद पर बने रहे।

रॉक गार्डन की प्रसिद्धि का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बीते 40 दशकों में करोड़ों लोग यहां पर आ चुके हैं। यहां तक कि अभी भी इस स्थान पर 2.5 लाख लोग हर साल आते हैं।

नेकचंद के लिए रॉक गार्डन का निर्माण कभी सरल नहीं रहा। उन्हें शुरुआती दिनों में और 1980 के दशक के आखिरी समय में नई कलाकृतियों को पार्क में स्थापित करने के लिए सरकार की नाराजगी का भी सामना करना पड़ा था।

लेकिन वह चट्टान की तरह सरकार की उदासीनता के खिलाफ अड़े रहे और जनता उनका समर्थन करती रही।

नेकचंद की जीवन भले ही अब समाप्त हो गया हो लेकिन उनकी कलाएं आने वाली कई पीढ़ियों तक जिंदा रहेंगी।

नेकचंद की कलाकृतियां देख चकित रह जाते हैं लोग Reviewed by on . चंडीगढ़, 12 जून (आईएएनएस)। अपनी कलाकृतियों से चंडीगढ़ को अंतर्राष्ट्रीय मानचित्र पर पहचान दिलाने वाले नेकचंद का गुरुवार देर रात निधन हो गया। कचरे से कलाकृतियां चंडीगढ़, 12 जून (आईएएनएस)। अपनी कलाकृतियों से चंडीगढ़ को अंतर्राष्ट्रीय मानचित्र पर पहचान दिलाने वाले नेकचंद का गुरुवार देर रात निधन हो गया। कचरे से कलाकृतियां Rating: 0
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