नई दिल्ली, 11 जून (आईएएनएस/इंडियास्पेंड)। पूर्वोत्तर राज्य इस साल सुरक्षा बल के 41 जवानों की मृत्यु के साथ देश का सबसे खतरनाक क्षेत्र रहा।
नई दिल्ली, 11 जून (आईएएनएस/इंडियास्पेंड)। पूर्वोत्तर राज्य इस साल सुरक्षा बल के 41 जवानों की मृत्यु के साथ देश का सबसे खतरनाक क्षेत्र रहा।
साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2014 में पूर्वोत्तर में 23 जवान शहीद हुए थे।
मणिपुर के चंदेल जिले में चार जून को आतंकवादियों द्वारा घात लगाकर किए गए एक हमले में भारतीय सेना के 18 जवान शहीद हो गए और 11 घायल हो गए थे। यह गत तीन दशकों का सबसे खतरनाक हमला था।
इस साल नक्सलवाद प्रभावित राज्यों में नक्सलियों से मुकाबला करते हुए सेना के 34 जवान शहीद हुए।
इंडियास्पेंड के मुताबिक अमूमन हर वर्ष इन राज्यों में सर्वाधिक संख्या में जवान आतंकवादियों से लड़ते हुए शहीद होते हैं।
एक अन्य आतंकवाद प्रभावित राज्य जम्मू एवं कश्मीर में इस साल 18 जवान शहीद हुए। राज्य हालांकि इस तरह की मौतों के मामले में देश में तीसरे स्थान पर रहा।
राज्यों के मामले में जवानों की सर्वाधिक 28 मौतें छत्तीसगढ़ में और उसके बाद 20 मौतें मणिपुर में हुई हैं।
आतंकवादियों से लड़ते हुए 2005 से 2014 तक देश के 3,093 जवान शहीद हुए हैं। हर साल होने वाली मौतें हालांकि 2005 के बाद से 63 फीसदी घटी है।
4 जून को किए गए हमले की जिम्मेदारी नगा आतंकवादी संगठन नेशनलिस्ट सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (खापलांग) या एनएससी (एन) और मणिपुरी मैती आतंकवादी संगठन कांग्लेई यावोल कानलुप (केवाईकेएल) ने ली है। दोनों संगठन म्यांमार से अपनी गतिविधियां चलाते हैं।
भारतीय सेना ने भारत-म्यांमार सीमा पर दो ठिकानों पर इन दोनों संगठनों को सबक सिखाने के मकसद से हमला किया है।
सेना के आधिकारिक बयान के मुताबिक खुफिया सूत्रों से विश्वसनीय सूचना मिलने पर कि ये संगठन दोबारा हमला करने की योजना बना रहे हैं, भारतीय सेना ने म्यांमार के सहयोग से यह कार्रवाई की थी।
(आंकड़ा आधारित, गैर लाभकारी, लोकहित पत्रकारित मंच, इंडियास्पेंड के साथ एक व्यवस्था के तहत। यहां प्रस्तुत लेखक के निजी विचार हैं।)