Saturday , 2 November 2024

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बिहार : बड़ी भूमिका चाहते हैं शत्रुघ्न

भाजपा सांसद और प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा का दर्द अंतत: छलक ही गया। केंद्रीय मंत्री न बनने की पीड़ा वह छिपा न सके। पटना में उन्होंने इसका इजहार भी किया। उन्होंने विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अपनी ही पार्टी को सार्वजनिक रूप से अनेक सलाह दी। इतना ही नहीं, उन्होंने लालू यादव, नीतीश कुमार और जीतनराम मांझी की तो प्रशंसा की, लेकिन प्रदेश भाजपा नेताओं की आलोचना की।

भाजपा सांसद और प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा का दर्द अंतत: छलक ही गया। केंद्रीय मंत्री न बनने की पीड़ा वह छिपा न सके। पटना में उन्होंने इसका इजहार भी किया। उन्होंने विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अपनी ही पार्टी को सार्वजनिक रूप से अनेक सलाह दी। इतना ही नहीं, उन्होंने लालू यादव, नीतीश कुमार और जीतनराम मांझी की तो प्रशंसा की, लेकिन प्रदेश भाजपा नेताओं की आलोचना की।

शत्रुघ्न के बयान को दबाव की राजनीति के रूप में देखा जा रहा है। यही कारण है कि जो बातें उन्हें पार्टी फोरम में कहनी चाहिए थी, उसे उन्होंने मीडिया के माध्यम से सार्वजनिक किया। उन्होंने केंद्रीय मंत्री न बन पाने का दर्द बयां किया, फिर अपनी बात को चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने तक ले गए। बस इन्हीं बातों से उनकी निजी इच्छा या कमजोरी की झलक मिल गई।

भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने की उनकी तमन्ना बहुत पुरानी है, लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव तक भाजपा और जद (यू) का गठबंधन था। ऐसे में मुख्यमंत्री पद के लिए जद (यू) नेता नीतीश कुमार का नाम घोषित किया गया था। इस गठबंधन को सफलता भी मिली।

इस अवधि में शत्रुघ्न के सामने दूसरा कोई विकल्प नहीं था। उधर, एक वर्ष पहले तक केंद्र में संप्रग का शासन था, इसलिए वहां भी गुंजाइश नहीं थी। अब उन्हें दिल्ली और पटना दोनों जगहों पर अवसर नजर आ रहे हैं। दिल्ली में सरकार बनी, शत्रुघ्न लोकसभा का चुनाव जीत गए। उम्मीद थी कि मंत्री बनेंगे। सालभर बीत गया लेकिन निराश रह गए।

इधर पटना में जद (यू) से गठबंधन टूट गया। नीतीश के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात समाप्त हुई। भाजपा ने किसी को भावी मुख्यमंत्री के रूप में पेश करने का फिलहाल कोई फैसला नहीं किया है। इसी कारण शत्रुघ्न की उम्मीद कायम है।

उन्होंने शीघ्र ही भावी मुख्यमंत्री का नाम घोषित करने की मांग की। चर्चा है कि शत्रुघ्न अपने नाम को भी दौड़ में रखना चाहते हैं, इसीलिए उन्होंने पहले विपक्ष की चुनौती दिखाई। नीतीश कुमार और लालू यादव को बड़ा और लोकप्रिय नेता बताया। यह भी जोड़ा कि नीतीश लंबे समय तक भाजपा के साथ रहे हैं, इसलिए वह भाजपा की कमजोरी जानते हैं, लेकिन शत्रुघ्न ने इसी आधार पर यह नहीं बताया कि उतने ही समय तक जद (यू) के साथ रहने के कारण भाजपा नीतीश की कमजोरी भी जानती है।

जाहिर है, शत्रुघ्न विपक्ष को मजबूत बता रहे थे। इसी रणनीति के तहत उन्होंने भाजपा के प्रदेश नेताओं की कमजोरी बताई।

उन्होंने कहा कि प्रदेश भाजपा नेताओं में आपसी खींचतान बनी रहती है। शत्रुघ्न ने जो बातें इशारे में कही वह ज्यादा महत्वपूर्ण है। वह यह कि लालू व नीतीश दोनों बड़े व लोकप्रिय नेता हैं, जबकि प्रदेश भाजपा में उस कद का कोई नेता नहीं है। क्या इसका यह अर्थ निकालना गलत होगा कि शत्रुघ्न अपने को लोकप्रिय व बड़ा चेहरा मानते हैं? इशारों में बताना चाहते हैं कि वह ही लालू व नीतीश का मुकाबला कर सकते हैं। भावी मुख्यमंत्री घोषित करने की मांग का कहीं यही अर्थ तो नहीं। (आईएएनएस/आईपीएन)

(ये लेखक के निजी विचार हैं)

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