नई दिल्ली, 10 जून (आईएएनएस)। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को चीनी मिलों के लिए 6,000 करोड़ रुपये के ब्याज मुक्त ऋण को मंजूरी दे दी, ताकि वे गन्ना किसानों के बकाए का भुगतान कर सकें। यह जानकारी केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने दी।
मंत्रिमंडल की बैठक के बाद गडकरी ने संवाददाताओं से कहा, “हमने किसानों के हित में यह फैसला किया है।”
चीनी उद्योग के लिए दूरगामी योजना के बारे में पूछे जाने पर गडकरी ने कहा, “सरकार इस पर विचार कर रही है।”
उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, बिहार, गुजरात, हरियाणा, उत्तराखंड और पंजाब देश के प्रमुख चीनी उत्पादक राज्य हैं।
आधिकारिक बयान के मुताबिक, आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने इस ऋण को एक साल तक नहीं चुकाने की सुविधा दी है और सरकार इस दौरान 600 करोड़ रुपये मूल्य तक की ब्याज राशि वहन करेगी।
बयान में कहा गया है, “जिन किसानों को बकाए का भुगतान नहीं किया गया है, बैंक उनकी सूची और बैंक खाता विवरण चीनी मिलों से लेंगे और सीधे किसानों के खाते में मिल की ओर से बकाए का भुगतान करेंगे। उसके बाद यदि कोई राशि बचेगी, तो वह मिल के खाते में डाल दी जाएगी।”
मिलों को बकाया भुगतान के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सीसीईए ने यह भी तय किया है कि सरल ऋण उन्हीं मिलों को दिया जाएगा, जो 30 जून, 2015 तक किसानों के कम से कम आधे बकाए का भुगतान कर देंगे।
गन्ना का मूल्य (एफआरपी) सरकार तय करती है और ताजा सत्र के लिए यह मूल्य 220 रुपये प्रति कुंटल है।
गत चार सालों से अधिक उत्पादन होने से घरेलू बाजार में चीनी की कीमत कम हो गई है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी कीमत कम चल रही है। इसके कारण उद्योग के पास तरलता कम हो गई है। परिणामस्वरूप किसानों को भुगतान नहीं हो पाया है।
ताजा चीनी सत्र (अक्टूबर 2014-सितंबर 2015) में गन्ना किसानों का कुल बकाया करीब 21 हजार करोड़ रुपये है।
मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद चीनी कंपनियों के शेयरों में तेजी दर्ज की गई।
बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) में बलरामपुर चीनी के शेयरों में 2.69 फीसदी, श्री रेणुका सुगर्स में 7.61 फीसदी, धामपुर सुगर में 4.50 फीसदी और आंध्रा सुगर्स में 7.67 फीसदी तेजी देखी गई।