नई दिल्ली, 10 जून (आईएएनएस)। पश्चिमी देशों में जहां वयस्क युवक अत्यधिक ऑनलाइन पोर्न के बुरे प्रभाव को महसूस कर रहे हैं, वहीं अब विशेषज्ञ आगाह करते हैं कि भारतीय किशोर भी इस खतरे की जद में हैं।
नई दिल्ली, 10 जून (आईएएनएस)। पश्चिमी देशों में जहां वयस्क युवक अत्यधिक ऑनलाइन पोर्न के बुरे प्रभाव को महसूस कर रहे हैं, वहीं अब विशेषज्ञ आगाह करते हैं कि भारतीय किशोर भी इस खतरे की जद में हैं।
यौन संबंध और व्यावहारिक विज्ञान विशेषज्ञों के मुताबिक, सेक्स एक ऐसा रहस्य है, जिसे लेकर किशोरों में उत्सुकता रहती है। आजकल सोशल मीडिया और वेबसाइट के जरिए इस तक पहुंच आसान हो गई है। लेकिन अधिकतर जवाब के रूप में यह पोर्नोग्राफी के रूप में सामने आती है।
एंड्रोमेडा एंड्रोलॉजी सेंटर के निदेशक डॉ.सुधाकर कृष्णमूर्ति ने आईएएनएस को फोन पर बताया, “मैं सेक्स को लेकर अज्ञानता को इसका दोषी ठहराऊंगा। लोगों को पहले स्वस्थ सेक्स के बारे में जानने की जरूरत है। पोर्न इसका मिलाजुला रूप है।”
वह भारत के पहले चिकित्सक हैं जो एंड्रोलॉजी पर काम कर चुके हैं, यह पुरुषों के प्रजनन क्रिया से संबंधित गड़बड़ी से निपटने वाली चिकित्सा शाखा है।
वह कहते हैं, “एक शिक्षित महिला तथा पुरुष पोर्न को न सिर्फ दैहिक सुख का माध्यम मानेंगे, बल्कि साथ होने के अहसास को और बढ़ाने की कोशिश करेंगे। यह सिर्फ किशोरों के साथ नहीं होता, जो इसे सिर्फ मजे के लिए देखते हैं।”
डर इस बात का है कि आसानी से उपलब्ध ऑनलाइन पोर्न खतरनाक यौन व्यवहार के लिए युवाओं को प्रवृत्त कर सकते हैं, विशेषकर ऐसे देश में जहां युवाओं की जनसंख्या विश्व में सर्वाधिक है।
दिल्ली के फोर्टिस अस्पताल के मानसिक स्वास्थ्य और व्यावहारिक विज्ञान विभाग के निदेशक डॉ.समीर पारिख कहते हैं कि अत्यधिक पोर्न देखने की आदत शादीशुदा जिंदगी के लिए परेशानी खड़ी कर सकता है।
उन्होंने कई युवाओं की बीमारी ठीक की है जिनकी शादीशुदा जिंदगी अत्यधिक पोर्न देखने के कारण प्रभावित हुई है।
समीर ने बताया कि शादीशुदा युवक सुमित अग्रवाल (बदला हुआ नाम) तीन से सात घंटे रोजना पोर्न देखता था।
चिकित्सक के अनुसार, शुरुआत में जोड़ा एक-दूसरे के करीब रहा, लेकिन समय के साथ वह पत्नी से दूर अकेले पोर्न देखने में समय बिताने लगा।
देश के शीर्ष सेक्सोलोजिस्ट डॉ.प्रकाश कोठारी ने बताया, “पोर्न देखने की आदत किसी के व्यक्तित्व पर निर्भर करती है, जहां इच्छा पर नियंत्रण नहीं होता, जहां जरूरत अतृप्त होती है और व्यवहार बाध्यकर होता है।”
वह कहते हैं कि जब युवक इस स्थिति पर पहुंचते हैं, तो उनको तत्काल इलाज की जरूरत होती है।