नई दिल्ली/पटना, 8 जून (आईएएनएस)। जनता परिवार ने कई दौर की बातचीत के बाद सोमवार को घोषणा कर दी कि बिहार में कुछ महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव की अगुआई नीतीश कुमार करेंगे और दुश्मन से दोस्त बने लालू प्रसाद उनका साथ देंगे। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को बिहार की सत्ता से दूर रखना ‘परिवार’ का मुख्य लक्ष्य होगा।
बातचीत में ‘मध्यस्थ’ की भूमिका समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने निभाई।
मुलायम ने नई दिल्ली स्थित अपने आवास पर यह घोषणा की। इस दौरान सपा प्रमुख के आवास पर मौजूद राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रमुख लालू प्रसाद ने घोषणा की कि उनके परिवार में कोई भी मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनने के लिए उत्सुक नहीं है।
लालू प्रसाद ने मीडिया से कहा, “यह समय की जरूरत है और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को रोकने के लिए हम सबको एकजुट होना होगा।”
उल्लेखनीय है कि भ्रष्टाचार के एक मामले में दोषी ठहराए जाने के कारण लालू प्रसाद मुख्यमंत्री नहीं बन सकते।
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, “मैं धर्मनिरपेक्ष ताकतों को यह विश्वास दिलाता हूं कि इस लड़ाई के लिए हम सभी प्रकार के बलिदान करने के लिए तैयार हैं। मैं जहर पी लूंगा, लेकिन सांप्रदायिक ताकतों को हराकर रहूंगा।”
मुलायम ने कहा, “मैं लालू प्रसाद को विशेष रूप से धन्यवाद दूंगा कि उन्होंने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के लिए नीतीश का नाम सुझाया।”
इस दौरान जनता दल (युनाइटेड) के प्रमुख शरद यादव मौजूद रहे।
वहीं पटना में नीतीश कुमार ने भी राष्ट्रीय जनता दल के साथ जद (यू) के गठबंधन की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस भी इस गठबंधन का हिस्सा बनेगी।
उन्होंने कहा, “राजद और लालू प्रसाद के साथ गठबंधन को लेकर कोई मतभेद या विवाद नहीं है। जद (यू) और राजद कांग्रेस पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे।”
नीतीश कुमार ने कहा कि सीटों के बंटवारे को लेकर नई दिल्ली में रविवार को कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के साथ हुई बैठक काफी सकारात्मक रही थी।
दूसरी ओर, भाजपा और उसके सहयोगी दल लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने राजद-जद (यू) गठबंधन को कम महत्व देने की रस्म निभाई।
भाजपा नेता राजीव प्रताप रूड़ी ने कहा कि बिहार में उनकी पार्टी का मजबूत आधार बना हुआ है और उसे नीतीश कुमार और लालू यादव की कोई परवाह नहीं है।
उन्होंने कहा, “एक ऐसे गठबंधन की घोषणा की गई है जो एकजुट नहीं है, यह गठबंधन हार के लिए बना है।”
वहीं एक अन्य भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा चुनाव के दौरान राजद और जद (यू) गठबंदन की फजीहत को याद करते हुए कहा, “उन्होंने हताशा में हाथ मिलाया है, वे सबक सीख जाएंगे।”
राजग में ‘सेक्युलर’ लोजपा अध्यक्ष राम विलास पासवान ने कहा कि यह गठजोड़ टूटने के लिए ही हुआ है।
वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव से पहले लालू यादव का साथ छोड़कर भाजपा का हाथ थामने वाले पासवान ने कहा, “किसी को मुलायम सिंह से पूछना चाहिए कि वह किस पार्टी का नेतृत्व करते हैं? मुख्यमंत्री उम्मीदवार की घोषणा करने वाले वह होते कौन हैं? क्या यह एक नाटक है?”
संभवत: सितंबर और अक्टूबर में होने वाले चुनावों पर पासवान ने कहा कि भाजपा-लोजपा का मिलकर बिहार चुनाव में भारी जीत दर्ज करेंगी।
सोमवार को हुई घोषणा से पहले तक अटकलें लगाई जा रही थीं कि बिहार में जनता परिवार के मुख्यमंत्री पद के रूप में नीतीश कुमार का नाम पेश करने का लालू विरोध करेंगे।
लेकिन कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) भी नीतीश के समर्थन में खुलकर आईं, जिसके बाद मुलायम सिंह अनिच्छुक लालू को इस गठबंधन पर राजी करने में कामयाब रहे।
सीटों के बंटवारे के बारे में पूछे जाने पर लालू प्रसाद ने कहा, “जो भी विवाद होंगे हम उन्हें सुलझा लेंगे।”
बिहार विधानसभा की वेबसाइट के मुताबिक, मौजूदा विधानसभा में जेडीयू के पास 110 सीटें हैं। वहीं भाजपा के पास 86 और राजद के पास 24 सीटें हैं।
2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन ने 40 में से 31 सीटों पर जीत दर्ज की थी।
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, पार्टी नेता सी.पी. जोशी और गुलाम नबी आजाद बिहार में विभिन्न पार्टियों से बातचीत कर रहे हैं।
सोमवार को कांग्रेस ने कहा कि बिहार के संबंध में पार्टी को अभी फैसला करना है। लेकिन कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, “हम भाजपा विरोधी पार्टियों के गठबंधन के समर्थन में हैं।”