उनके भक्त उन्हें भोले भंडारी, शंकर, विश्वनाथ जैसे नामों से पुकारते हैं। घ्यान-ज्ञान में मगन वे आनंद कानन (काशी) में विराजते हैं। रही बाबा को अतिशय प्रिय महाशिवरात्रि की बात तो शास्त्र-पुराणों में मनुष्य के जीवन में तीन रात्रियों का विशेष महत्व बताया गया है। पहली है मोहरात्रि जिस दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। दूसरा वर्णन आता है कालरात्रि का जो दीपावली की अर्ध रात्रि में प्रकाशपुंजों की सौगात ले कर आती है। तीसरी है महारात्रि जिसे शिवरात्रि का संबोधन प्राप्त है। इसी दिन काशीपुरी में निकलती भोले की बारात है।
सामान्य जन शिवरात्रि को केवल शिवविवाह के रूप में जानते हैं। जबकि योगीजन इसे महासाधना के अवसर की रात्रि मानते हैं। भगवान शिव योगीश्र्र्वर हैं। यह योगियों के आराध्य देव हैं। शिव और शक्ति आध्यात्मिक दृष्टि से एक हैं। इस दिन शिव और शक्ति का मिलन हुआ है। काशी में विशेश्र्र्वर का ज्योर्तिलिंग शिव सत्यामक है, अद्भुत व अनुपम है। काशी में मरने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। तीर्थो में इसी कारण इसका विशेष महत्व है। काशी आध्यात्मिक काशी है, जो प्रलय काल में भी नष्ट नहीं होगी क्योंकि यह शिव के त्रिशूल पर बसी है। शिवरात्रि महाफलदायी है। गृहस्थ इस दिन सर्वविधि मंगल कल्याण के लिए, कुमारियां शिव समान वर की प्राप्ति के लिए ,साधक गण साधना की सिद्धि के लिए बाबा के दरबार में अर्जी लगाते हैं। मनवांछित फल पाते हैं।
शिवरात्रि में शांति प्रहर, कला प्रहर प्रतिष्ठा प्रहर, निवृत्ति प्रहर की चार प्रहर पूजाओं का विधान बताया गया है। इस दिन पूरे विधि विधान से पूजन अर्चन करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
जलधारा प्रियो शिव-
शिव जी को जल अति प्रिय है। इस लिए कि जल में ही सब कुछ प्रतिष्ठित है। चार प्रहर की पूजा करके पंचोपचार, शोडषोपचार, राजोपचार, लघु रूद्र, महारूद्र, अतिरूद्र या फिर रूद्र सुत्त से भी शिव जी को प्रसन्न किया जा सकता है। साथ ही इस दिन जागरण कर भजन कीर्तन करें शिव अवश्य आप पर कृपा की वर्षा करेंगे। जल चढ़ाएं फिर बिल्वपत्र चढ़ाएं।
बिल्वपत्र के तीन दल तीन जन्म के पाप का समूल नाश करने में सक्षम होते हैं। सूर्यच् चन्द्रमा, अग्नि का यह सूचक होता है। सतोगुण, तमोगुण, रजोगुण का यह आकार है। शिवरात्रि पर शिव जी को भस्म, भांग, धतूरा चढ़ाएं। शिव तो ऐसे देवता हैं जिन्हें श्रद्धा भाव से जल भी अर्पण करें तो प्रसन्न हो जाते हैं। एक पत्ती बेल पत्र पर मन से अगराते हैं। गण-और लोक के प्रतीक प्रतिनिधि देव को कोटि-कोटि प्रणाम, इसी तरह जागृत रहे उनका काशी धाम।