न्यूयॉर्क, 7 जून (आईएएनएस)। शोधकर्ताओं की एक टीम ने मस्तिष्क और प्रतिरक्षा प्रणाली के बीच की एक ‘अनभिज्ञ’ कड़ी का पता लगाया है। इससे भविष्य में मस्तिष्क संबंधी बिमारियों जैसे अल्जाइमर और मल्टिपल स्केलेरोसिस आदि के इलाज में मदद मिल सकती है।
यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जीनिया स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं के अनुसार हर दूसरी इंद्रियों की तरह मस्तिष्क भी मेंनिंग्यल लिम्फेटिक नसों के जरिए प्रतिरक्षा प्रणाली से जुड़ा रहता है। इससे पहले हालांकि माना जाता था कि ऐसा नहीं है।
इन नसों की मदद से चिकित्सीय विज्ञान के कई अनसुलझे सवालों के जवाब मिल सकते हैं, जैसे अल्जाइमर से पीड़ित मरीज के दिमाग में प्रोटीन के थक्कों का ज्यादा जमाव क्यों होता है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक अलग-अलग उम्र के लोगों में यह नसें बिल्कुल भिन्न दिखाई देती हैं। शोधकर्ताओं ने आशंका जताई है कि हो सकता है कि यह नसें उम्र के बढ़ने की प्रक्रिया में भी अहम भूमिका निभाती हो।
वर्जीनिया विश्वविद्यालय के मस्तिष्क इम्यूनोलॉजी और ग्लीया के निदेशक और प्रमुख शोधकर्ता जोनाथन कीपनीस के अनुसार, “मुझे भरोसा नहीं हो रहा कि हम अब तक अपने ही शरीर में मौजूद किसी संरचना के बारे में नहीं जानते थे। मुझे लगता था कि हमारे शरीर के संबंध में खोजें पिछली सदी के मध्य के आसपास खत्म हो गई थी लेकिन जाहिर तौर ऐसा नहीं है।”
कीपनीस के अनुसार, “हमें लगता है कि मस्तिष्क संबंधी रोगों के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली मौजूद है। इनमें यह नसें बड़ी भूमिका निभा सकती हैं।”
कीपनीस के मुताबिक, “यह नसें रक्त वाहिनियों के इतना करीब थी कि हमने कभी उस पर कभी गौर ही नहीं किया।
बहरहाल, इन लिम्फेटिक नसों की मौजूदगी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं जिनका जवाब मिलना बाकी है।
कीपनीस ने अल्जाइमर बीमारी में मरीज के मस्तिष्क में अत्यधिक मात्रा में जमा होने वाले प्रोटीन के थक्कों का उदाहरण देते हुए कहा कि हो सकता है कि यह नसें उन्हें ठीक से नहीं हटा पाती हों।
ऐसे ही कई अन्य मस्तिष्क संबंधी बीमारियां की एक विशाल सारणी है जिसके बारे में इस नई खोज को ध्यान में रखते हुए फिर से अध्ययन किया जाना चाहिए।
यह शोध जनरल नेचर में प्रकाशित हुआ है।