जम्मू, 7 जून (आईएएनएस)। अमृतसर के ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ में मारे जाने के 31 साल बाद भी अलगाववादी आतंकवादी जरनैल सिंह भिंडरावाले को जम्मू का सिख समुदाय संत या शहीद का दर्जा देता है।
जम्मू, 7 जून (आईएएनएस)। अमृतसर के ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ में मारे जाने के 31 साल बाद भी अलगाववादी आतंकवादी जरनैल सिंह भिंडरावाले को जम्मू का सिख समुदाय संत या शहीद का दर्जा देता है।
दाना सिंह गुरुद्वारा साहिब के मुख्य ग्रंथी सिख संत तेजवंत सिंह का यह मानना है कि भिंडरावाले खालसा पंथ के एक संत और शहीद थे।
संत तेजवंत सिंह ने आईएएनएस को बताया, “उन्होंने सिंख पंथ के लिए बलिदान दिया। वह एक संत थे, जो सिख समुदाय से सम्मान और आदर पाने के हकदार हैं।”
जम्मू में करीब तीन लाख सिख रहते हैं।
यह पूछने पर कि भिंडरावाले ने स्वर्ण मंदिर में अपने आसपास हथियार क्यों रखे हुए थे, उन्होंने कहा, “सरकार ने स्वर्ण मंदिर में हथियारों के आसानी से प्रवेश का रास्ता तैयार किया।”
सप्ताह के प्रारंभ में सैंकड़ों सिख भिंडरावाले का पोस्टर हटाए जाने के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे। हालांकि, सेना के वापस चले जाने के बाद शनिवार को जनजीवन पटरी पर लौट आया।
संत तेजवंत सिंह ने कहा कि भिंडरावाले समुदाय के लोगों के हृदय और मन में रहते हैं और उन्होंने राज्य प्रशासन पर उनका पोस्टर हटा कर गड़बड़ी पैदा करने का आरोप लगाया।
उन्होंने पूछा, “क्या उनके पोस्टर प्रकाशित न करने का कोई आदेश है? भिंडरावाले का पोस्टर पंजाब में वाहनों और शर्ट पर लगाया जाता है। जम्मू एवं कश्मीर के बाहर इन चीजों पर आपत्ति नहीं है। फिर पुलिस क्यों उनके पोस्टर जम्मू से हटा रही है?”
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के सदस्य वकील और जम्मू बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष सुरिंदर सिंह ने कहा, “जिस तरह से भिंडरावाले को मारा गया, सिखों को लगा वह शहीद और संत हैं।”
उन्होंने कहा, “सिख पंथ हरमंदिर साहिब की पवित्रता को बचाने में उनके बलिदान को हमेशा सलाम करेगा।”
नेशनल सिख फ्रंट के अध्यक्ष वीरेंद्रजीत सिंह का भी मानना है कि भिंडरावाले संत थे।
उन्होंने कहा, “भिंडरावाले को हमेशा संत माना जाएगा, क्योंकि अकाल तख्त ने कहा था कि वह गुरु के उद्देश्य के लिए शहीद हुए हैं।”
जम्मू शहर में हालांकि तीन दिन तक चले प्रदर्शन की अच्छी बात यह रही कि न तो किसी नाराज सिख ने खालिस्तान या फिर पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगाए।
वरिष्ठ पत्रकार हरबंस नागोकी ने कहा कि थोड़ी नाराजगी थी, जिसके कारण कुछ सिख युवकों ने जरूर पाकिस्तान समर्थक नारे लगाए हैं।
उन्होंने कहा, “किसी को इस संबंध में ज्यादा पढ़े जाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। सिख पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध के दौरान भारत के सम्मान बचाने में हमेशा आगे रहे हैं।”
पत्रकार ने कहा कि जम्मू शहर में हिंदुओं को भी आतंकवादी सिख नेता को संत की उपाधि देने संबंधी चर्चा को लेकर विवाद में नहीं पड़ना चाहिए।