Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/load.php on line 926

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826
 महिला सशक्तिकरण के लिये अनेक योजनाएँ एवं नवाचार चल रहे हैं मध्यप्रदेश में (अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस- 8 मार्च 2013) | dharmpath.com

Sunday , 24 November 2024

Home » धर्मंपथ » महिला सशक्तिकरण के लिये अनेक योजनाएँ एवं नवाचार चल रहे हैं मध्यप्रदेश में (अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस- 8 मार्च 2013)

महिला सशक्तिकरण के लिये अनेक योजनाएँ एवं नवाचार चल रहे हैं मध्यप्रदेश में (अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस- 8 मार्च 2013)

womens-dayमध्यप्रदेश में पिछले नौ साल से अधिक अवधि में महिला सशक्तिकरण की ओर विशेष ध्यान देकर उसे सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। प्रदेश की महिलाएँ एवं बालिकाएँ निरंतर प्रगति करें इसके लिये सभी क्षेत्रों में नये कार्यक्रमों, योजनाओं के अलावा अनेक नवाचारों को भी अपनाया गया है। लाड़ली लक्ष्मी, कन्यादान योजना, निःशुल्क गणवेश व सायकिल वितरण, बालिका शिक्षा, आँगनवाड़ी केन्द्रों में किशोरी बालिका दिवस, गाँव की बेटी योजना, प्रतिभा किरण, बालिका भ्रूण हत्या रोकने के कानून का कड़ाई से पालन, आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं की बड़ी संख्या में भर्ती, महिला नीति का क्रियान्वयन आदि ऐसी योजनाएँ हैं, जिनके फलस्वरूप देश के सामने मध्यप्रदेश की एक नई तस्वीर उभरकर सामने आई हैं।

पन्द्रह जिलों में किशोरियों के सशक्तिकरण के लिए शुरू हुई ‘‘सबला’’ योजना से 17 लाख से अधिक बालिकाओं को लाभान्वित किया गया है। राज्य सरकार ने अगले वर्ष के बजट में इसके लिए 40 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है।

मुख्यमंत्री कन्यादान योजना निर्धन परिवारों की बेटियों के लिए वरदान साबित हुई हैं। इस योजना में अब तक दो लाख 29 हजार से अधिक कन्याओं के विवाह सम्पन्न हो चुके हैं। अब योजना की हितलाभ राशि 7500 से बढ़ाकर 10 हजार रूपये कर दी गई है। बालिका जन्म के प्रति जनता में सकारात्मक सोच, लिंगानुपात में सुधार, बालिकाओं के शैक्षणिक और स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार तथा उनके अच्छे भविष्य की आधार-शिला रखने के उद्देश्य से शुरू की गई लाड़ली लक्ष्मी योजना से अब तक साढ़े तेरह लाख से अधिक बालिकाएँ लाभान्वित हो चुकी हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में कक्षा छठवीं एवं कक्षा नवमीं में प्रवेश लेने वाली छात्राओं को एक गाँव से दूसरे गाँव में अध्ययन के लिए जाने हेतु निःशुल्क सायकिलें दी जा रही हैं। योजना के शुरू होने से अब तक साढ़े 16 लाख से अधिक बालिकाएँ इसका लाभ उठा चुकी हैं।

इसी तरह एक से आठवीं कक्षा में अध्ययनरत बेटियों को एक जोड़ी के स्थान पर दो जोड़ी शाला गणवेश भी निःशुल्क उपलब्ध करवाई जा रही है। 198 कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय में 19 हजार से अधिक बालिकाएँ लाभान्वित हो रही हैं। शासकीय कालेजों में पढ़ने वाली ऐसी छात्राएँ, जो शैक्षणिक स्थल से पाँच कि.मी. से अधिक दूरी पर रहती है, उन्हें आवागमन के लिए पांच रुपये प्रतिदिन की दर से 200 शैक्षणिक दिवस के लिए योजना का लाभ दिलाया जा रहा है। गाँव की बेटी योजना के जरिये गाँवों से 12 वीं कक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण कर उच्च शिक्षा के लिए आगे पढ़ने वाली प्रतिभाशाली बालिकाओं को प्रति माह 500 सौ रुपये छात्रवृत्ति (दस माह पाँच हजार) देने का प्रावधान है। तकनीकी और चिकित्सा शिक्षा पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने वाली बालिकाओं को 750 रुपये प्रति माह (दस माह) दिये जाते हैं । शहरी क्षेत्र के गरीबी की रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले परिवार की बालिकाओं के उच्च शिक्षा के अध्ययन-अध्यापन हेतु ‘‘प्रतिभा किरण‘‘ योजना संचालित है। पूर्व में इस योजना के तहत दी जाने वाली सहायता राशि 3000 रुपये प्रतिवर्ष को अब 5000 रुपये कर दिया गया है।

आँगनवाड़ी केन्द्रों पर मनाये जाने वाले मंगल दिवसों में से हर चौथा मंगलवार किशोरी बालिकाओं के नाम होता है । इस दिन केन्द्र में दर्ज किशोरी बालिकाओं को संतुलित आहार, प्राथमिक स्वास्थ्य की देखभाल तथा आर्थिक गतिविधियों से संबंधित प्रशिक्षण दिया जाता है। किशोरी बालिकाओं के स्वास्थ्य की जाँच के साथ आवश्यकतानुसार उपचार एवं निःशुल्क दवाएँ भी दी जाती हैं। उषा किरण योजना में अब तक दर्ज 22 हजार प्रकरण में से 11 हजार से अधिक प्रकरण का निराकरण किया जा चुका है। महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए महिला नीति का प्रदेश में पूरी दक्षता के साथ क्रियान्वयन किया गया है। स्थानीय निकायों में आधे पद महिलाओं के लिए आरक्षित करने के फैसले के फलस्वरूप आज 50 प्रतिशत से अधिक बहनें निर्वाचित होकर निर्णय प्रक्रिया एवं व्यवस्था में साक्रिय भागीदारी कर रही है।

महिलाओं की आवश्यकताओं एवं प्राथमिकताओं के अनुसार लोक व्यय में उनकी सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए जेंडर आधारित बजट का निर्धारण और क्रियान्वयन पिछले पाँच वर्षों से किया जा रहा है। विपत्तिग्रस्त और बेसहारा महिलाओं के पुनर्वास के साथ ही महिलाओं को उनके कानूनी अधिकारों और उनके हित में संचालित योजनाओं की जानकारी जागृति शिविरों के माध्यम से दी जा रही है। अपने घरों से दूर रहने वाली कामकाजी महिलाओं के लिए वसति गृह की योजना भी प्रदेश में चल रही है। कठिन परिस्थिति में जीवन-यापन करने वाली महिलाओं को आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध करवाने के लिए स्वाधारा योजना का क्रियान्वयन हो रहा है। श्रमिक महिलाओं के हित संवर्धन एवं संसाधन पर भी विशेष ध्यान दिया गया है। वन, जल, स्वच्छता एवं पर्यावरण में भी वे सक्रिय भागीदारी निभा रही हैं। राज्य सरकार की सफल कोशिशों के फलस्वरूप प्रदेश की महिलाएँ और बालिकाएँं न सिर्फ शिक्षा के क्षेत्र में सफल है बल्कि कृषि, पशुपालन, खेत, सूचना संचार तकनीकी आदि में भी अव्वल साबित हो रही है।

श्रीमती रंजना बघेल

महिला-बाल विकास मंत्री श्रीमती रंजना बघेल ने अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर प्रदेश की समस्त महिलाओं को शुभकामनाएँ दी हैं। श्रीमती बघेल ने महिलाओं से अपेक्षा की है कि वे स्वर्णिम मध्यप्रदेश के निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान करे। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा महिलाओं के हित में जो योजनाएँ चलाई जा रही है, उसका वे आगे आ कर लाभ उठाये।

महिला सशक्तिकरण के लिये अनेक योजनाएँ एवं नवाचार चल रहे हैं मध्यप्रदेश में (अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस- 8 मार्च 2013) Reviewed by on . मध्यप्रदेश में पिछले नौ साल से अधिक अवधि में महिला सशक्तिकरण की ओर विशेष ध्यान देकर उसे सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। प्रदेश की महिलाएँ एवं बालिकाएँ निरंतर प्रग मध्यप्रदेश में पिछले नौ साल से अधिक अवधि में महिला सशक्तिकरण की ओर विशेष ध्यान देकर उसे सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। प्रदेश की महिलाएँ एवं बालिकाएँ निरंतर प्रग Rating:
scroll to top