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नेपाल में भारत का ‘ऑपरेशन मैत्री’ पूरा

काठमांडू, 4 जून (आईएएनएस)। नेपाल में 25 अप्रैल को आए भूकंप के बाद भारत ने उसकी सहायता करने के लिए ‘ऑपरेशन मैत्री’ शुरू किया था। लगभग 40 दिनों तक नेपाल में राहत कार्यो को अंजाम देने के बाद गुरुवार को भारत का ऑपरेशन मैत्री पूरा हो गया।

काठमांडू, 4 जून (आईएएनएस)। नेपाल में 25 अप्रैल को आए भूकंप के बाद भारत ने उसकी सहायता करने के लिए ‘ऑपरेशन मैत्री’ शुरू किया था। लगभग 40 दिनों तक नेपाल में राहत कार्यो को अंजाम देने के बाद गुरुवार को भारत का ऑपरेशन मैत्री पूरा हो गया।

नेपाल की मदद के लिए भारत द्वारा अपने देश के बाहर शुरू किया गया यह अबतक का सबसे बड़ा आपदा के बाद शुरू किया गया अभियान था।

25 अप्रैल को आए भूकंप के चार घंटों के भीतर नेपाल में सबसे पहले अपनी राहत टीम भेजने वाले देशों में भारत ही था। काठमांडू में राहत सामग्री के साथ पहुंचने वाला सबसे पहला विमान भारतीय वायुसेना का ही था।

भारत ने 24 घंटों के भीतर 10 राष्ट्रीय आपदा राहत बल (एनडीआरएफ), एक आर्मी इंजीनियरिंग कार्यबल और सेना की 18 चिकित्सा इकाइयों को नेपाल के लिए रवाना भेजा था।

काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास के मुताबिक भारतीय वायुसेना के एक विमान सी-17 ने गुरुवार अपराह्न 2.30 बजे त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे से उड़ान भरी। इसके साथ ही दो एएलएच और तीन एमआई-3 हेलीकॉप्टर भी स्वदेश रवाना हुए। ये विमान अपने साथ बची हुई राहत सामग्री साथ लेकर गए हैं।

भारतीय सेना के 69 जवानों और कनाडा की सेना के सात जवानों के नेपाल से रवाना होने के बाद नेपाल की सेना ने गुरुवार को कहा कि अब नेपाल में कोई भी विदेशी सेना मौजूद नहीं है।

संकट के समय में भारत सरकार ने नेपाल की राहत के लिए बहुआयामी रणनीति चुनी। उसने नेपाल में राहत और बचाव कार्यो के लिए सेना के जवान और हेलीकॉप्टर भेजे। भारत की एनडीआरएफ ने विभिन्न भूकंप प्रभावित इलाकों में तलाशी अभियान जारी रखा, वहीं भारतीय सेना और भारतीय वायुसेना ने नेपाली सरकार की सहायता की।

इसी तरह के इंडियन रेड क्रॉस सहित भारत की विभिन्न राज्य सरकारों ने राहत सामग्री के वितरण में सराहनीय योगदान दिया और इस मानवीय संकट में सैकड़ों टन राहत सामग्री उपलब्ध कराई। नेपाल में भारत के राहत एवं बचाव कार्यो पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं नजर बनाए हुए थे और निर्देश दे रहे थे।

भारतीय दूतावास ने कहा, “राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन समिति की नियमित बैठकें हुई और इनका नेतृत्व मंत्रिमंडल सचिव ने किया।”

नेपाल में पांच सप्ताह तक रुकने के दौरान एनडीआरएफ के 16 दलों को काठमांडू के विभिन्न हिस्सों में तैनात किया गया था। इन दलों में 700 से अधिक जवान थे।

एनडीआरएफ ने 11 लोगों को जिंदा बचाया, जबकि 132 के शवों को बाहर निकाला। सात पीड़ितों और 22 शवों को एनडीआरएफ ने अपने पहले अभियान के दौरान ही बचा लिया था।

एनडीआरएफ ने छह स्थानों पर चिकित्सा शिविर लगाए थे और इनमें भूकंप प्रभावित 992 लोगों का इलाज किया गया। एनडीआरएफ के महानिदेशक को राहत अभियान का नेतृत्व करने के लिए नेपाल में तैनात किया गया था।

राहत एवं बचाव कार्य पूरा होने के बाद एनडीआरएफ के दल वापस भारत लौट गए।

वहीं गुरुवार को भारत के रक्षा मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान में बताया, “एक माह से अधिक समय तक काम आने वाली राहत सामग्री प्रचुर मात्रा में भेजी गई। इसके साथ ही पानी, मैदानी अस्पताल, कंबल, तंबू, पैरामेडिक, स्ट्रेचर, दवा, तैयार भोजन, दूध, बर्तन, सब्जी, तुरंत खाने वाला भोजन, आरओ यंत्र, ऑक्सीजन रीजेनेरेटर और मरीजों के लिए बिस्तर आदि भेजे गए।”

इसमें बताया गया कि वायुसेना ने सी-130 जे सुपर हरक्युलिक्स, सी-17 ग्लोब मास्टर-3, आईएल-76 जैसे भारी माल वाहक विमानों तथा एएन-32 जैसे मध्यम माल वाहक विमानों को तैनात किया। इसके अलावा एमआई-17 वी5 और एमआई-17 जैसे आठ मध्यम माल वाहक हेलिकॉप्टरों को भी इस्तेमाल में लाया गया।

बयान के मुताबिक, राहत और बचाव कार्य के दौरान विभिन्न विमानों द्वारा 1677 उड़ानें भरी गईं, जिनमें भारतीय वायु सेना के हेलीकॉप्टरों द्वारा भरी गई 1569 उड़ानें शामिल हैं। इस दौरान 1348.995 टन सामान ले जाया गया तथा 5188 लोगों और 780 शवों को निकाला गया।

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