नई दिल्ली, 4 जून (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को हरियाणा पुलिस से यौन उत्पीड़न की शिकार जिंदल ग्लोबल युनिवर्सिटी की बीबीए/एमबीए की एक छात्रा के आवास पर जाकर उसका बयान दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। न्यायालय ने निर्देश दिए हैं कि उसे पुलिस के पास जाकर बयान दर्ज करने का दबाव न बनाया जाए।
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति प्रफुल्ल सी.पंत और न्यायमूर्ति अमिताभ रॉय की अवकाशकालीन पीठ ने हरियाणा पुलिस को युवती द्वारा लगाए गए आरोप की जांच पर अपनी स्थिति रपट पेश करने को कहा, जिसमें अपराध से जुड़े साइबर पहलू और लड़की के बयान को भी शामिल किया जाए।
न्यायालय ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पी.एस.पटवालिया से कहा कि यह जरूरी नहीं कि पीड़िता को बयान दर्ज कराने आपके पास आना पड़े। आप खुद उसका बयान दर्ज करने जा सकते हैं।
न्यायालय ने पीड़िता को जांच में पुलिस को सहयोग देने की बात कही और कहा कि यह हरियाणा पुलिस की स्थिति रपट पर निर्भर करेगा कि लड़की की याचिका पर मामले को सीबीआई को सौंपा जाए या नहीं।
पटवालिया ने केंद्रीय फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (सीएफएसएल) को मोबाइल फोन और लैपटॉप की जांच करने के भी निर्देश देने की मांग की है।
मामले पर अगली सुनवाई आठ जुलाई को की जाएगी। न्यायालय ने केंद्र सरकार से सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2008 की धारा 79ए के तहत मोबाइल और लैपटॉप की जांच के संबंध में परीक्षक की नियुक्ति पर अधिसूचना जारी करने को लेकर केंद्र से जवाब मांगा।
पटवालिया ने कहा कि मामले की जांच के लिए राज्य पुलिस की किसी वरिष्ठ महिला अधिकारी के अंतर्गत एसआईटी का गठन किया जा सकता है।
बीबीए/एमबीए पाठ्यक्रम के दूसरे वर्ष की छात्रा ने मामले को सीबीआई को सौंपे जाने की मांग की है।
लड़की ने जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल के हार्दिक सिकरी, विकास गर्ग और करण छाबड़ा पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया और ये दोनों ही पीड़िता से दो साल वरिष्ठ हैं। फिलहाल तीनों न्यायिक हिरासत में हैं।