अनिल सिंह (धर्मपथ)– भारत की धरती युगों से संतों से रिक्त नहीं रही.संत के भेष में शैतानों के उदाहरण छोड़ दिए जाएँ क्योंकि वे अपवाद हैं.रावण ने सीताहरण के लिए साधू-वेश धारण किया. हमारा प्रयास आप तक योग्य साधकों का परिचय पहुंचाना रहता है ताकि आप भी आज के इस भौतिक युग में जीवन की साधना कर रहे साधकों का परिचय और आशीर्वाद प्राप्त कर सकें.
हम यहाँ चर्चा कर रहें हैं भोपाल शहर के लहारपुर कालोनी में स्थित परमारवंशियों के ग्राम के हरिहरआश्रम के साधक संत की.100 वर्ष आयु को पार कर चुके इनकी जीवन-शैली से हम रूबरू हुए.इस अवस्था में भी अपने सभी दैनिक कार्य ये अपने हाथों से करते हैं.इन्हें गाँव के लोग गुरूजी के नाम से संबोधित करते हैं.
लहारपुर हाऊसिंगबोर्ड कालोनी के पीछे परमारवंशी ग्रामीणों का पुराना गाँव बसा हुआ है.पहले यह सीहोर जिले में आता था,वर्तमान में भोपाल जिले में यह गाँव स्थित है.इस हरिहर मन्दिर में संत रघुनाथ जी की समाधि एवं साफा रखा हुआ है.गुरु-आसन पर स्थित साफे की यहाँ पूजा होती है.वर्ष में दो बार सावन और चैत्र में आस -पास क्षेत्र के एवं कई जिलों के ग्रामीण यहाँ एकत्रित होते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं.इस अवसर पर विशाल भंडारा आयोजित किया जाती है.
हमने इस उम्र में भी अपने सभी कार्य अपने हाथों से ही करते देखा.इस हेतु ये किसी की भी सहायता नहीं लेते.इन्होने नरसिंहवेश धारण कर रखा है जो सनातन में नरसिंहअवतार का प्रतीत है.इन्होने हमें कुछ बातें बतायीं जो इनके साधना पथ की गहराई प्रदर्शित कर रही थीं.ये विगत 50 वर्षों से इस स्थान पर निवासरत हैं और गुरु भक्ति एवं सेवा में रत हैं.
इन्होने हमें पुनः आमत्रित किया है हम अगली मुलाक़ात का तत्व आपके सामने प्रस्तुत करेंगे.
कुछ चित्रावली जो हमने कैद की यहाँ प्रदर्शित कर रहे हैं.