बाहरी ताक़तों की मदद और विदेशी हमलों के बिना आतंकवादी संगठन “इस्लामी राज्य” की स्थिति इतनी ज़्यादा मज़बूत नहीं हो सकती थी। ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद ज़रीफ़ ने आज, गुरुवार को यह बात कही है।
जवाद ज़रीफ़ के कथनानुसार, इस प्रक्रिया में बाहरी प्रतिभागी- एक बड़ा ख़तरा हैं क्योंकि वे इन आतंकवादियों का अपने हितों के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। ज़रीफ़ ने कहा-
“इन शक्तियों की भागीदारी के बिना नव-आतंकवादियों की स्थिति इतनी ज़्यादा मज़बूत नहीं होनी थी। दूसरे देशों पर हमले करने की नीति और एक नई व्यवस्था बनाने की कुछ ताक़तों की इच्छा के कारण आतंकवाद के प्रसार के लिए एक नया मंच बन गया है”।
इराक और सीरिया के एक विशाल हिस्से पर कब्ज़ा कर चुके “इस्लामी राज्य” का व्यापक विस्तार आजकल विश्व की प्रमुख समस्या बन चुका है। सी.आई.ए. के अनुसार, “इस्लामी राज्य” में क़रीब 30 हज़ार आतंकवादी लड़ाके शामिल हैं और इस आतंकवादी संगठन ने अपने कब्ज़े वाले इलाके में “ख़िलाफ़त” की स्थापना कर रखी है। और वह अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों का विस्तार करना चाहता है।”इस्लामी राज्य” लीबिया और यमन सहित मध्य पूर्व तथा उत्तरी अफ्रीका के कुछ अन्य देशों में भी अपनी शाखाएँ स्थापित कर चुका है।
स्पुतनिक न्यूज़ से