ढाका । दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रथम नागरिक प्रणब मुखर्जी अपने विवाह के 56 साल बाद बीते मंगलवार को पहली बार जब अपनी ससुराल पहुंचे तो नजारा बिल्कुल अलग था। पत्नी शुभ्रा की जन्मस्थली बांग्लादेश स्थित नरैल के भद्रविला गांव में राष्ट्रपति जब पहुंचे तो प्रोटोकाल से इतर वहां सब अपने जमाई को देखने के लिए उमड़ पड़े।
सबसे दिलचस्प तो यह था कि प्रणब तो ससुराल बाड़ी में किसी को पहचानते भी नहीं थे। राष्ट्रपति ने उस अनुभव को शब्दों में बयां किया तो बेहद उत्साहित हो गए। उन्होंने हंसते हुए कहा, ‘मैं 1957 में शादी के बाद पहली बार ससुराल आया था। अब 78 साल की उम्र में बिल्कुल नए जोड़े की तरह मेरा स्वागत हुआ। पांच दशक बाद पहली बार आने के चलते मैं तो किसी को पहचान भी नहीं पाया, लेकिन जो अनुभव मिला वह न भूलने लायक है।’ राष्ट्रपति का नरैल का उनका यह दौरा बेहद विशेष था। बांग्लादेश में उन्हें जमाई की नजर से ही देखा जाता है और नरैल में तो उन्हें देखने के लिए जगह-जगह भीड़ जुटी थी। देश की प्रथम महिला यानी राष्ट्रपति की पत्नी शुभ्रा भी आखिरी बार 1995 में नरैल आई थीं। राष्ट्रपति बनने के बाद जब पहले विदेश दौरे पर प्रणब निकले तो विशेष तौर पर उन्होंने अपने ससुराल जाने का फैसला किया। वहां पर उनके श्वसुर द्वारा बनवाया गया काली मंदिर है, जिसमें जाकर उन्होंने पूजा भी की। साथ ही वह ससुराल की तीन पीढि़यों से मुखातिब हुए।