रायपुर, 2 जून (आईएएनएस/वीएनएस)। दो साल पहले 25 मई, 2013 को छत्तीसगढ़ में नक्सलियों ने देश के सबसे बड़े नरसंहार को अंजाम दिया था। आज दो साल बाद भी रहस्य से पर्दा नहीं उठ सका है। हालांकि नरसंहार के बाद एनआईए और न्यायिक जांच तो शुरू कर दी गई, लेकिन अभी भी कई रहस्य बरकरार हैं। 25 मई 2013 को दरभा के झीरम घाटी में 25 गाड़ियों से निकले 200 कांग्रेसी कार्यकर्ताओं पर 300 से अधिक माओवादियों ने हमला किया था, जिसमें मारे गए 32 लोगों में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विद्याचरण शुक्ल, तत्कालीन कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, महेंद्र कर्मा, उदय मुदलियार, दिनेश पटेल और योगेंद्र शर्मा आदि शामिल थे। वहीं 38 लोग घायल हो गए थे।
इस नरसंहार के बाद झीरम घाटी की घटना के लिए सरकार ने जांच आयोग का गठन किया था। इसके नोडल अधिकारी आईपीएस दिपांशु काबरा बनाए गए थे। उन्होंने 200 पन्नों के दस्तावेज के साथ 8-10 गवाहों के नाम भी जांच आयोग के सामने रखे थे। अभी तक 50 लोगों की गवाही के बाद एक ही बात सामने आ रही है कि सुरक्षा में चूक के चलते यह वारदात हुई थी।
झीरम घाटी हमले में जांच के लिए राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के जस्टिस प्रशांत मिश्रा को जांच की जिम्मेदारी सौंपी थी और तीन महीने के समय सीमा तय की थी पर अभी तक सुनवाई चल रही है।
इधर, एनआईए ने झीरम हमले के जांच की जिम्मेदारी केरल कैडर के आईपीएस संजय कुमार को दी थी, पर पहली चार्जशीट प्रस्तुत करने के बाद ही उन्होंने एनआईए छोड़ दिया। उसके बाद लखनऊ एनआईए ब्रांच के प्रमुख सुधांशु सिंह को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है, लेकिन अभी भी अंतिम रिपोर्ट का इंतजार है।
एनआईए ने अब तक इस मामले में 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। ओड़िशा के मलकानगिरि में भी इस घटना में शामिल 3 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, पर अभी भी घटना का रहस्य बरकरार है।
खास बात यह कि नक्सलियों के प्रवक्ता गुडसा उसेंडी से भी झीरम घाटी के मामले में अभी तक कोई खास बात उगलवाई नहीं जा सकी है। नंदकुमार पटेल और उनके बेटे दिनेश को घटनास्थल से दूर ले जाकर गोली मारने, विद्याचरण शुक्ल की क्रास फायरिंग में मौत, कुछ लोगों को नक्सलियों द्वारा छोड़ देना भी अभी तक अनसुलझा है। वैसे अभी तक झीरम घाटी घटना को अंजाम देने वाले मास्टर माइंड तीन प्रमुख नक्सली गिरफ्त से बाहर हैं।
25 मई को झीरम घाटी की बरसी पर दिवंगत कांग्रेस नेता महेंद्र कर्मा के पुत्र ने सलवा जुडूम-2 आंदोलन से तो अपना हाथ खींच लिया है, पर बस्तर जिले के धुर नक्सल इलाके से सटे गांव में एक बैठक लेकर नक्सलियों के विरुद्ध जनांदोलन का ऐलान कर दिया है। बस्तर के दरभा और कोलेंग से लगे गांव नवागुड़ा, काकरवाड़ा, बड़ेगोदेल, तोड़ापाल, चुरेंद्रवाड़ा और बीरमपाल के ग्रामीणों ने एक ग्रामसभा का आयोजन किया था, जिसमें करीब 1000 से अधिक ग्रामीणों ने हिस्सा लिया।
इस सभा में एडिशनल एसपी विजय पांडे ने भी शिरकत की और हर तरह की मदद करने का आश्वासन दिया। ग्रामीणों ने गांवों को नक्सल मुक्त करने का प्रण लिया है और पुलिस से भी सहयोग मांगा है।