नई दिल्ली, 10 मई (आईएएनएस)। मीडिया मुगल के रूप में मशहूर सुभाष चंद्रा के एसेल समूह की नई वैश्विक क्रिकेट साझेदारी को मौजूदा विश्व क्रिकेट में सबसे बड़ी हलचल के रूप में देखा जा रहा है, खासकर भारत में।
नई दिल्ली, 10 मई (आईएएनएस)। मीडिया मुगल के रूप में मशहूर सुभाष चंद्रा के एसेल समूह की नई वैश्विक क्रिकेट साझेदारी को मौजूदा विश्व क्रिकेट में सबसे बड़ी हलचल के रूप में देखा जा रहा है, खासकर भारत में।
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की कार्यप्रणाली में चल रही अस्थिरता और अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) की हालिया कार्यशैली को लेकर कई संबद्ध राष्ट्रीय क्रिकेट संघों के बीच पनपे असंतोष को एसेल समूह के इस कदम के पीछे की वजह माना जा रहा है।
जब भी वैश्विक क्रिकेट में किसी साझेदारी की बात होती है तो सबसे पहला नाम इससे जुड़े ललित मोदी का ही आता है। ललित मोदी को आठ वर्ष पहले इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की सफल बुनियाद डालने के लिए जाना जाता है।
आईपीएल से पहले एसेल समूह ने इंडियन क्रिकेट लीग (आईसीएल) की शुरुआत की थी, हालांकि वह बहुत कम दिनों तक चला।
एसेल समूह ने हालांकि अपने इस वैश्विक क्रिकेट साझेदारी में ललित मोदी के शामिल होने से इनकार किया है। ललित मोदी ने भी इसमें अपनी किसी तरह की भागीदारी को नकारा है।
मुक्त बाजार के समर्थक मोदी और उनके मेंटर इंदरजीत सिंह बिंद्रा का हमेशा से मानना रहा है कि क्रिकेट को अंतर्राष्ट्रीय बोर्ड को संभाल रहे मुट्ठीभर लोगों के चंगुल से मुक्त होना चाहिए।
दरअसल बीसीसीआई ने सुभाष चंद्रा को शरद पवार के अध्यक्ष रहते विदेशी धरती पर होने वाले क्रिकेट मैचों के प्रसारण अधिकार देने की पेशकश की थी, लेकिन बाद में इसे बिना किसी खास वजह के वापस ले लिया गया।
एसेल समूह ने अपनी वैश्विक क्रिकेट साझेदारी को व्यापारिक प्रचार-प्रसार का हिस्सा बताया है और आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड तथा स्कॉटलैंड में कंपनियों का पंजीकरण करवा लिया है। तीनों ही कंपनियों के नाम वहां के राष्ट्रीय क्रिकेट संघों के समान ही रखे गए हैं।
हालांकि अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है कि एसेल समूह इसके जरिए सीधे-सीधे आईसीसी को चुनौती देने वाली है या सिर्फ कारोबार के लिए ऐसा कर रही है।
जो भी हो आईसीसी इसे लेकर चौकन्ना है। एसेल समूह ने साथ ही अपने मौजूदा टेलीविजन नेटवर्क टेन स्पोर्ट्स को इससे बिल्कुल अलग कर लिया है।
क्रिकेट को उसकी मौजूदा सीमा से बाहर निकालने की बात नई नहीं है। इससे पहले बीसीसीआई के मौजूदा अध्यक्ष जगमोहन डालमिया ने आईसीसी का अध्यक्ष पद संभालने के दौरान कह चुके हैं कि क्रिकेट को जापान और चीन तक पहुंचाने की जरूरत है।
मोदी ने स्पष्ट कहा है कि नया अंतर्राष्ट्रीय लीग टूर्नामेंट इंग्लैंड के मौैजूदा इंग्लिश काउंटी लीग को निगल जाएगा। सुभाष चंद्रा यदि इंगिल्श काउंटी के खिलाड़ियों को अपनी ओर आकर्षित करने में कामयाब हो गए तो वह न सिर्फ एक समानांतर लीग टूर्नामेंट शुरू कर सकते हैं, बल्कि आईसीसी के समानांतर एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था भी खड़ी कर सकते हैं।
आईसीएल के फ्लॉप रहने के बाद निश्चित तौर पर सुभाष चंद्रा बिना पूरी रणनीति और योजना के फिर से क्रिकेट बाजार में नहीं उतरेंगे।
उल्लेखनीय है कि सुभाष चंद्रा और बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन पुराने मित्र हैं और क्रिकेट के कारोबार से अच्छी तरह वाकिफ हैं।
कुल मिलाकर अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में आने वाले दिन काफी हलचल वाले और रोचक हो सकते हैं, लेकिन मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में कोई बड़ा परिवर्तन इतना आसान भी नहीं होगा।