नई दिल्ली, 3 मई (आईएएनएस)। जघन्य अपराधों के आरोपी पाए गए 16 से 18 आयुवर्ग के किशोरों के खिलाफ न्यायिक सुनवाई वयस्कों की तरह किए जाने से संबंधित किशोर न्याय संशोधन विधेयक को इसी सप्ताह लोकसभा में पेश किया जाएगा। आधिकारिक सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी।
विधेयक को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 22 अप्रैल को मंजूरी दे दी।
इस संशोधन विधेयक में अनाथ, परित्यक्त और आत्मसमर्पण कर चुके बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया को सरल किए जाने और केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (कारा) को वैधानिक दर्जा दिए जाने का प्रस्ताव भी शामिल है।
इसके अलावा इस संशोधन विधेयक में संस्थागत एवं गैर संस्थागत बच्चों के लिए पुनर्वास एवं समाज में उनको शामिल करने के अनेक उपायों के प्रस्ताव भी शामिल किए गए हैं। इतना ही नहीं उन बच्चों को प्रायोजक एवं माता-पिता जैसी देखभाल मुहैया कराए जाने जैसे बिल्कुल नए साधनों के प्रस्ताव भी किए गए हैं।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने पिछले साल अगस्त में इस किशोर न्याय (बच्चों की परवरिश एवं संरक्षण) विधेयक-2014 को लोकसभा में पेश किया था।
इसके बाद विधेयक को स्थायी समिति के पास समीक्षा के लिए भेज दिया गया था और समिति ने किशोरों की आयुसीमा 18 वर्ष ही रखने की सिफारिश की थी। हालांकि सरकार ने समिति की इस सिफारिश पर सहमति नहीं जताई थी।