काठमांडू, 3 मई (आईएएनएस)। बुद्ध पूर्णिमा के मौके पर प्रतिष्ठित स्वयंभूनाथ मंदिर में भक्तजन पिछले कई सालों से प्रार्थना करते आए हैं, लेकिन इस साल इस पावन अवसर पर मंदिर के कपाट लोगों के लिए बंद रहेंगे। मंदिर प्रशासन को खुले में पड़ी पवित्र वस्तुओं और कलाकृतियों की चोरी का डर है।
काठमांडू, 3 मई (आईएएनएस)। बुद्ध पूर्णिमा के मौके पर प्रतिष्ठित स्वयंभूनाथ मंदिर में भक्तजन पिछले कई सालों से प्रार्थना करते आए हैं, लेकिन इस साल इस पावन अवसर पर मंदिर के कपाट लोगों के लिए बंद रहेंगे। मंदिर प्रशासन को खुले में पड़ी पवित्र वस्तुओं और कलाकृतियों की चोरी का डर है।
भूकंप के बाद बौद्धों के इस धर्मस्थल का बड़ा हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया है।
एक बौद्ध भिक्षु, चंद्र रतन बुद्धाचार्य ने आईएएनएस को बताया, “हम इस पावन दिन पर लोगों से मंदिर से बाहर रहने का आग्रह करने की योजना बना रहे हैं।”
36 वर्षीय यह पुजारी नेपाल में विनाशकारी भूकंप के बाद अब एक स्वयंसेवी के रूप में कार्य कर रहा है। इन्होंने लोगों द्वारा मलबे से धार्मिक वस्तुओं को उठाए जाने के अपने अनुभव को भी साझा किया।
बुद्धाचार्य ने कहा, “मंदिर में किसी भक्त के प्रवेश को रोकना बहुत मुश्किल है। इससे पहले भी भक्त के रूप में एक आदमी ने मंदिर में प्रवेश किया था और उसे यहां से एक धार्मिक वस्तु की चोरी करते हुए पकड़े गया था। हालांकि, हमने उसे सिर्फ चेतावनी देकर छोड़ दिया था। हम इस स्थिति का दोबारा सामना नहीं करना चाहते।”
उन्होंने कहा, “भीड़ को संभालना बहुत मुश्किल है। यदि हम भक्तों को अंदर आने देते हैं तो यह बहुत मुश्किल होगा, क्योंकि मंदिर का संस्थागत ढांचा टूट गया है और हर जगह मलबा है।”
भगवान बुद्ध के जन्मदिवस के पर्व को बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। बुद्ध का जन्म काठमांडू घाटी से 200 किलोमीटर दूर दक्षिण पश्चिम में लुंबिनी में हुआ था।
यूनेस्को द्वारा घोषित यह विश्व विरासत स्थल एक पहाड़ी पर स्थित है। इस मंदिर परिसर में घर, दुकानें और स्मारक मौजूद थे, जो नेपाल में 7.9 तीव्रता के भूकंप में नष्ट हो गए हैं।
हालांकि मंदिर के केंद्रीय स्तूप के किनारों को हल्की क्षति पहुंची है। लेकिन मंदिर परिसर में मौजूद घर, दुकानें और धार्मिक स्मारक नष्ट हो गए हैं।
पुजारी ने कहा कि इस बात को ध्यान में रखते हुए वे भक्तों के लिए मंदिर के कपाट खोलकर किसी तरह का जोखिम नहीं लेना चाहते।
बुद्धाचार्य ने बताया, “हम पुरातत्व विभाग और सरकार से बात करने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या भक्तों के लिए प्रार्थना करने के लिए मंदिर के बाहर व्यवस्था की जा सकती है।”
यूनेस्को के सलाहकार डेविड एंडोलफैटो ने आईएएनएस को बताया, “हमें बचाव अभियान के दौरान काली मिट्टी की छोटी मूर्तियां मिली हैं, जो काफी पवित्र हैं। इसलिए हमें डर है कि लोग इन्हें बुद्ध का आर्शीवाद समझकर उठा न लें।”
मंदिर प्रशासन का कहना है कि हम लोगों पर चोरी करने का आरोप नहीं लगा रहे हैं, बल्कि यह पुरातत्व जागरूकता की कमी है, जिससे इस तरह की घटनाएं होती हैं।