नई दिल्ली, 3 मई (आईएएनएस)। फ्रांस के रक्षा मंत्री जीन वाईवेस ड्रायन सोमवार को यहां 36 राफेल विमानों की आपूर्ति के औपचारिक समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए पहुंचने वाले हैं। यह जानकारी अधिकारियों ने दी।
यह गौर करने वाली बात होगी कि देश में विमानों का निर्माण करने के लिए दस्सॉ किस कंपनी को चुनती है।
अधिकारी ने कहा कि मेक इन इंडिया कार्यक्रम को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रांस दौरे के दौरान इतनी तत्परता से इस सौदे पर आगे बढ़ने के लिए सहमति दे दी थी।
उन्होंने कहा, “इसलिए संयुक्त उपक्रम साझेदार का सवाल महत्वपूर्ण है। देखते हैं किसका चुनाव होता है।”
अधिकारी ने बताया कि भारत से पहले इसी तरह के समझौते पर फ्रांस ने मिस्र और कतर दोनों को 24 राफेल युद्धक विमानों की आपूर्ति के समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। मिस्र और कतर दोनों के साथ हुए सौदे का मूल्य 7.1 अरब डॉलर है, जबकि भारत के साथ होने वाले सौदे का मूल्य नौ अरब डॉलर (55 हजार करोड़ रुपये) है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “हमें पता है कि कंपनी को बड़ी संख्या में विमानों की आपूर्ति करनी है। भारत, मिस्र और कतर के ठेकों को मिलाकर देखा जाए, तो कंपनी को 84 विमानों की आपूर्ति करनी है। इसलिए आपूर्ति एक बड़ा मुद्दा है। रक्षा मंत्री की यात्रा के समय हम इसे उठाएंगे।”
उन्होंने कहा, “मुझे पता चला है कि एक राफेल विमान बनाने में करीब एक महीना लगता है। लेकिन हमारा दस्सॉ के साथ मिराज-2000 कार्यक्रम के कारण 30 साल पुराना संबंध है। यह एक सफल सौदा रहा है। इसलिए आपूर्ति की समस्या नहीं होगी।”
अधिकारी ने कहा कि सौदे के तहत कंपनी 30-50 फीसदी मूल्य को देश में विनिर्माण पर निवेश करेगी।
इसके लिए दस्सॉ को भारत में साझेदारी करनी होगी। रक्षा सचिव आर.के. माथुर ने हाल में कहा था कि यह नए ऑफसेट नियमों के तहत पहला सौदा होगा। ऑफसेट नियमों के तहत फ्रांस की कंपनी भारत में उपकरणों तथा कल-पुर्जो का निर्माण करेगी।
2007 में जारी प्रथम निविदा के मुताबिक, 126 राफेल विमान खरीदे जाने थे, जिसका कुल मूल्य 11 अरब डॉलर था। इसके मुताबिक विमानों का निर्माण हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स के साथ मिलकर किया जाना था। इसमें हो रही देरी को देखते हुए मोदी ने विमानों की संख्या घटा दी।