चितवन (नेपाल), 1 मई (आईएएनएस)। नेपाल में 25 अप्रैल को आए भूकंप के कारण राहत सामग्री की बाढ़ लगी हुई है, लेकिन आपदा में जीवित बचे कुछ लोगों का कहना है कि वे अभी भी मदद का इंतजार कर रहे हैं।
चितवन (नेपाल), 1 मई (आईएएनएस)। नेपाल में 25 अप्रैल को आए भूकंप के कारण राहत सामग्री की बाढ़ लगी हुई है, लेकिन आपदा में जीवित बचे कुछ लोगों का कहना है कि वे अभी भी मदद का इंतजार कर रहे हैं।
नेपाल में दुनिया के हर कोने से सहायता पहुंच रही है। लेकिन नेपाल के सामने अब राहत प्रबंधन और यह सुनिश्चित करने की चुनौती है कि आवश्यक वस्तुएं, तैयार खाद्य पदार्थ, दवाएं, तंबू और अन्य राहत सामग्री उन स्थानों तक पहुंचे जहां पर लोगों को इसकी सख्त जरूरत है।
भीषण जलजले के छह दिनों बाद भी बहुत से स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्हें राहत की सख्त जरूरत है और उन तक अभी भी राहत नहीं पहुंच पाई है। नेपाल में इस भूकंप में अभी तक 6,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
राजधानी काठमांडू से 150 किलोमीटर दूर नारायण घाट में एक रिसॉर्ट में हाउस कीपिंग सहायक के रूप में काम करने वाले संदीप रेग्मी ने आईएएनएस से कहा, “गोरखा जिले में स्थित उसके घर में उनकी मां, भाई और बहन एक टाट के नीचे रहने को मजबूर हैं। पिछले हफ्ते आए भूकंप से तबाह हुए इस गांव में अभी तक किसी प्रकार की सरकारी सहायता नहीं पहुंची है।
17 साल के संदीप ने कहा कि उसका एक कमरे का मिट्टी का घर भूकंप के कारण मिट्टी में मिल गया और गांव में ज्यादातर लोग मारे गए हैं।
आंखों में आंसू लिए उसने कहा कि वह दो दिन पहले ही अपनी मां और बहन से बात कर पाया है।
स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि ज्यादातर राहत का कार्य काठमांडू को केंद्रित कर किया जा रहा है, जबकि अन्य स्थान जैसे भक्तपुर, गोरखा, वारपाक, पोखरा, रौसा, शुलीखेल, भातचौर और सिंधुपालचौक में अपेक्षाकृत कम सहायता सामग्री गिराई गई है।
एक अधिकारी ने कमियों को स्वीकार करते हुए कहा कि हादसे की भयावहता सरकारी मशीनरी पर हावी हो गई है।
एक अधिकारी ने चितवन में आईएएनएस संवाददाता से कहा, “पिछले एक सप्ताह जो भी सामने आया है वह हमारी कल्पना से परे है।”
उन्होंने कहा, “भारत, चीन, तुर्की, श्रीलंका, पोलैंड, जर्मनी, फ्रांस, इजरायल, मलेशिया और नीदरलैंड की राहत टीमें नेपाल में हैं और अपने बेहतर प्रयार कर रही हैं।”