ललितपुर (नेपाल), 30 अप्रैल (आईएएनएस)। नेपाल में आए भीषण भूकंप में जहां पांच हजार से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवा दी, वहीं कुछ ऐसे किस्मतवाले भी हैं, जिन्होंने मौत को मात दे दी।
ललितपुर (नेपाल), 30 अप्रैल (आईएएनएस)। नेपाल में आए भीषण भूकंप में जहां पांच हजार से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवा दी, वहीं कुछ ऐसे किस्मतवाले भी हैं, जिन्होंने मौत को मात दे दी।
पट्टन इलाका स्थित अपने घर में मेनुका (19) तथा उसका चचेरा भाई शनिवार को आए भूकंप के पहले टेलीविजन देख रहे थे, तभी अचानक भूकंप आ गया।
जब उन्हें इसका अहसास हुआ, वे डर के मारे पलंग के नीचे घुस गए। और इसी समझ ने उनकी जान बचा दी।
पलक झपकते ही चार मंजिला इमारत ताश के पत्तों की तरह भरभराकर गिर पड़ी।
उस भयानक अहसास को याद करते हुए मेनुका ने आईएएनएस से कहा, “हमने मलबे से निकलने का प्रयास किया, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। लगभग एक घंटे के बाद हमें हमारे परिजनों ने बचा लिया।”
जिस समय 7.9 तीव्रता का भूकंप आया, उस वक्त इमारत में मेनुका व उसके चचेरे भाई के अलावा सात अन्य लोग भी मौजूद थे। मेनुका ने ईश्वर का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि सभी जिंदा बच गए।
भूकंप से सर्वाधिक प्रभावित जिलों में ललितपुर जिला भी शामिल है। इस भीषण त्रासदी में कुल 5,700 लोगों की जान चली गई, जबकि 12 हजार लोग घायल हो गए, जिनमें कई की हालत गंभीर है।
वह चार मंजिला इमारत अब एक खंडहर से अधिक कुछ नहीं है।
मेनुका ने आईएएनएस से कहा, “बेहद चमत्कारिक ढंग से हम सब बच गए।”
वह इस बात से खुश है कि वह जिंदा है, लेकिन अपने भविष्य को लेकर चिंतित है।
उसने कहा, “मुझे नहीं पता कि क्या करना है। मेरे पिता एक वाहन चालक हैं। लेकिन अपने पूरे परिवार के सही-सलामत होने पर मुझे खुशी है।”
मेनुका ने गुरुवार को अपने घर को मलबे को खंगाला जिसमें उसे एक कुकिंग गैस सिलिंडर मिला, जो भाग्यवश नहीं फटा था।
लेकिन ललितपुर में हर कोई मेनुका व उसके परिवार की तरह भाग्यशाली नहीं है।
थूली तमांग (50) पट्टन के एक अस्पताल में बिस्तर पर पड़ी है। उसका बायां पैर टूट चुका है।
तमांग ने आईएएनएस से कहा, “मैं भोजन कर रहा था, जिस वक्त भूकंप आया। मेरा मित्र मेरे साथ था। हमने भागने का प्रयास किया, लेकिन एक दीवार हमारे ऊपर गिर गया। मेरा मित्र घटनास्थल पर ही मारा गया। मुझे उसकी बहुत याद आती है।”
सहमा तमांग अब अपने घर लौटकर नहीं जाना चाहता, क्योंकि उसे फिर से भूकंप आने का डर सता रहा है।
अस्पताल में भर्ती एक और पीड़ित मन्ना (40) ने कहा कि उसे इस बात की खुशी है कि वह जिंदा बच गई। हादसे में उसका भी पैर टूट गया है।
उसने कहा, “जब भूकंप आया, मैं रसोई में थी। मुझे नहीं पता कि मैं बचने में कैसे कामयाब रही।”