नई दिल्ली, 30 अप्रैल (आईएएनएस)। कोयला ब्लॉक आवंटन मामले की सुनवाई कर रही एक विशेष अदालत ने गुरुवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को फटकार लगाते हुए पूछा कि जांच के दौरान कांग्रेस नेता नवीन जिंदल का पासपोर्ट जब्त क्यों नहीं किया गया।
सीबीआई ने विशेष न्यायाधीश भरत पराशर से कहा कि जिन 10 आरोपियों के विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल किया गया था, उनमें से सिर्फ दो-सुरेश सिंघल और राजीव जैन-के पासपोर्ट जांच के दौरान जब्त किए गए थे।
अधिकारी ने कहा कि जिंदल का पासपोर्ट जमा करने का नोटिस भेजा गया था।
अधिकारी ने बताया कि बार-बार इत्तिला भेजने के बाद जिंदल ने पासपोर्ट की रंगीन प्रतिलिपि भेजी और आग्रह किया कि उनका मूल पासपोर्ट जब्त नहीं किया जाए।
सीबीआई के अभियोजक ने अदालत से कहा कि सीबीआई के कार्यालय में यह फैसला लिया गया कि जिंदल का पासपोर्ट जांच के दौरान जब्त नहीं किया जाएगा।
संबंधित पासपोर्ट अधिकारी को हालांकि एक सूचना भेज दी गई कि आरोपी जिंदल पर जांच चल रही है।
अदालत ने कहा, “पहले बताई गई स्थिति से स्पष्ट है कि सभी मामले में जांच के दौरान जैसी मामला पंजीकृत होता है आरोपी के पासपोर्ट जब्त कर लिए जाते हैं और पासपोर्ट को संबंधित पासपोर्ट अधिकारी के पास पासपोर्ट अधिनियम के तहत कार्रवाई के लिए भेज दिया जाता है।”
अदालत ने कहा, “इस मामले में हालांकि एक अलग नीति अपनाई गई और इसका कारण सीबीआई को ही पता है।”
न्यायाधीश पराशर ने सीबीआई को फटकार लगाते हुए निर्देश दिया कि सभी मामले के लिए समान नीति बनाई जाए ताकि अदालत का कीमती समय बर्बाद नहीं हो।
अदालत ने मामले को छह मई के लिए मुल्तवी कर दिया।
यह मामला झारखंड के अमरकोंडा मुर्गादंगल कोयला ब्लॉक को जिंदल स्टील और गगन स्पंज को आवंटित किए जाने से संबंधित है।
कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में बुधवार को जिंदल, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा, पूर्व केंद्रीय कोयला राज्यमंत्री दासरि नारायण राव, पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता और अन्य के विरुद्ध आरोपपत्र दाखिल किया गया था।
आरोपपत्र में पांच निजी कंपनियों के नाम भी हैं, जिसमें चार दिल्ली की और एक हैदराबाद की है।
ये कंपनियां हैं जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड, गगन स्पंज आयरन प्राइवेट लिमिटेड, जिंदल रियल्टी प्राइवेट लिमिटेड, न्यू दिल्ली एक्सि प्राइवेट लिमिटेड और सौभाग्य मीडिया लिमिटेड।
सीबीआई ने उन पर आपराधिक षड्यंत्र, धोखाधड़ी के आरोप लगाए हैं।
एजेंसी ने कहा कि अमरकोंडा मुर्गादंगल कोयला ब्लॉक का आवंटन 35वें चयित समिति की सिफारिश के आधार पर किया गया था।
सीबीआई के एक अधिकारी ने कहा, “यह आरोप है कि दिल्ली की दो इस्पात और लोहा कंपनियों ने कोयला ब्लॉक हासिल करने के लिए गलत तथ्य प्रस्तुत किए थे। साथ ही दिल्ली की कंपनियों ने कथित तौर पर हैदराबाद की कंपनी में निवेश किया था।”
कथित आवंटन के समय राव 2006 से 2009 के बीच केंद्रीय कोयला राज्यमंत्री थे।