कोलकाता, 30 अप्रैल (आईएएनएस)| हिमालय के कुछ हिस्सों में भविष्य में विनाशकारी भूकंप की खबरों के बीच भारतीय वैज्ञानिकों के एक वर्ग का कहना है कि पूर्वोतर भारत की धरती की सतह में किसी तरह की असामान्य भूकंपीय गतिविधि में बदलाव नहीं हुआ है।
इसके अलावा, उन्होंने यह भी बताया कि हिमालय में एक के बाद एक दो शक्तिशाली भूकंप नहीं आएंगे।
नेपाल में शनिवार को रिक्टर पैमाने पर आए 7.9 तीव्रता के भूकंप में हजारों लोगों की मौत हो गई, जबकि व्यापक स्तर पर तबाही हुई। भूकंपीय झटकों से भारत के अलावा तिब्बत में भी भूकंप के झटकों से जान-माल की काफी हानि हुई।
2,500 किलोमीटर लंबी हिमालय श्रृंखला उत्तरपश्चिम में कश्मीर से लेकर पूर्वोत्तर में अरुणाचल प्रदेश तक फैली हुई है।
धरती की सतह के नीचे मौजूद टेक्टोनिक प्लेट में समय-समय पर दबाव पड़ने से प्रतिक्रियास्वरूप भूकंप की स्थिति बनती है। जब यह दबाव बढ़ता है तो 2,500 किलोमीटर लंबी हिमालय श्रृंखला में 150-200 सालों में बड़ी तीव्रता वाला भूकंप आ सकता है।
ऐतिहासिक आंकड़ों के मुताबिक, वैज्ञानिकों का मानना है कि उत्तराखंड और असम में शक्तिशाली भूकंप आ सकता है लेकिन अन्य संकेतकों ने इस तरह की असामान्य घटनाओं के संकेत नहीं दिए हैं।
आईएसआर के वैज्ञानिक ए.पी.सिंह ने आईएएनएस को बताया, “सांख्यिकी और ऐतिहासिक भूकंप आंकड़ों के मुताबिक आठ या इससे अधिक तीव्रता के भूकंप उत्तराखंड या असम में आ सकता है। लेकिन यह कहना संभव नहीं है कि यह भूकंप आज या 50 साल बाद आएगा।”
अमेरिकी भौगोलिक सर्वेक्षण के मुताबिक क्रस्टल विरूपण धरती की सतह में बदलाव को दर्शाता है, जो टेक्टोनिक प्लेटों के टकराव या उसके खिसकने से होता है।
आईएसआर के एक अन्य वैज्ञानिक पालेबी चौधरी के मुताबिक, “पहले भी यह देखा गया है कि वास्तविक भूकंपीय झटकों की तुलना में भूकंप के बाद के झटकों (आफ्टरशॉक) की तीव्रता कम थी। हिमालय क्षेत्र में एक के बाद एक भूकंप नहीं आते। इसलिए इस तरह की खबरें कि आगामी दिनों में बड़ा भूकंप आ सकता है। इस तरह की खबरों का वैज्ञानिक आधार नहीं है।”