लखनऊ , 20 अप्रैल (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री और वाराणसी संसदीय सीट से सांसद नरेंद्र मोदी उत्तर प्रदेश में ‘नमामि गंगे’ की धीमी रफ्तार से काफी खफा हैं। मोदी की फटकार के बाद अब उप्र भाजपा गंगा किनारे बसे जिलों में इस अभियान को सफल बनाने के लिए घर-घर जाकर युवाओं की ऐसी फौज तैयार करेगी जो ‘नमामि गंगे’ और ‘गंगा सफाई अभियान’ में भी अपनी भूमिका निभाएंगे।
लखनऊ , 20 अप्रैल (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री और वाराणसी संसदीय सीट से सांसद नरेंद्र मोदी उत्तर प्रदेश में ‘नमामि गंगे’ की धीमी रफ्तार से काफी खफा हैं। मोदी की फटकार के बाद अब उप्र भाजपा गंगा किनारे बसे जिलों में इस अभियान को सफल बनाने के लिए घर-घर जाकर युवाओं की ऐसी फौज तैयार करेगी जो ‘नमामि गंगे’ और ‘गंगा सफाई अभियान’ में भी अपनी भूमिका निभाएंगे।
नमामि गंगे परियोजना के लिए हजारों करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया, लेकिन लगभग 10 महीने बाद भी उनके अपने संसदीय क्षेत्र में ही यह अभियान परवान नहीं चढ़ पा रहा है। प्रोजेक्ट की धीमी रफ्तार को देखते हुए उन्होंने उप्र इकाई को यह निर्देश दिया है।
नमामि गंगे परियोजना के लिए मोदी सरकार ने 2,037 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया था।
भाजपा सूत्रों की मानें तो मोदी को लगता है कि उप्र सरकार की लापरवाही की वजह से उनके इस अभियान को पलीता लग सकता है। उप्र में 2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले मोदी अपने इस ड्रीम प्रोजेक्ट को हकीकत में बदलने के लिए बेचैन हैं, ताकि इसका गुणगान चुनाव के दौरान किया जा सके।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने कहा कि महासंपर्क अभियान के तहत बूथ स्तर और हर दरवाजे तक कार्यकर्ताओं की टीम पहुंचेगी। इस अभियान के दौरान भाजपा की सदस्यता के लिए इच्छुक लोगों को पार्टी से जोड़ा जाएगा।
वाजपेयी ने कहा, “इस अभियान के दौरान खास तौर से युवाओं की एक एैसी फौज तैयार की जाएगी जो केंद्र सरकार की नमामि गंगे प्रोजेक्ट और गंगा सफाई अभियान को सफल बनाने में अपना योगदान देगी।”
उल्लेखनीय है कि मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी और उत्तर प्रदेश के पंचायती राज मंत्री कैलाश यादव का गृह जनपद गाजीपुर भी इस अभियान में फिसड्डी साबित हुआ है। इसके अलावा पांच जिलों बिजनौर, हापुड़, बुलंदशहर, मेरठ एवं मुजफ्फरनगर में अभी यह कार्य भी शुरू नही हो पाया है।
मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट ‘नमामि गंगे’ की हकीकत उजागर करने के लिए उत्तर प्रदेश पंचायती राज विभाग के आंकड़े पर्याप्त हैं। विभाग के सूत्रों के मुताबिक, मासिक समीक्षा के अनुसार फरवरी के अंत तक केवल 4़5 प्रतिशत कार्य ही पूरा हो सका है।
उल्लेखनीय है कि गंगा किनारे बसे 25 जिलों के 109 विकास खंडों की 951 ग्राम पंचायतों की पहचान की गई थी। इनमें वर्ष 2015-16 तक 4,11,598 शौचालयों का निर्माण प्रस्तावित है, लेकिन अब तक मात्र 18,514 शौचालयों का निर्माण ही पूरा हो सका है।
केंद्र के निर्देशानुसार, मार्च 2015 तक 30 प्रतिशत कार्य पूरा हो जाना चाहिए था, लेकिन हकीकत इस लक्ष्य से बहुत दूर है।
भाजपा सूत्रों की मानें तो पंचायती राज विभाग की इसी धीमी रफ्तार से मोदी की चिंता बढ़ी है। इसीलिए अब उन्होंने इस अभियान से भाजपा के युवा कार्यकर्ताओं को भी जोड़ने का निर्देश दिया है।
आंकड़ों के मुताबिक, खुद मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के गांवों में प्रस्तावित 13,813 शौचालयों में से 196 का निर्माण ही पूरा हो सका है।
इधर, पंचायती राज विभाग के अधिकारी इस मुद्दे पर खुलकर बोलने से कतरा रहे हैं। उनका केवल इतना ही कहना है कि केंद्र सरकार से दिशा-निर्देश मिलने में देरी होने के कारण शौचालय निर्माण के काम में उतनी तेजी नहीं आ पाई, जितनी आनी चाहिए थी।