वाराणसी, 11 अप्रैल (आईएएनएस)। भोजपुरी बोलने वाले करीब 20 करोड़ लोगों के लिए एक खुशखबरी है। अब जल्द ही लोग इंटरनेट पर भोजपुरी भाषा का इस्तेमाल कर सकेंगे। बनारस (काशी) हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान व भोजपुरी अध्ययन केंद्र मिलकर भोजपुरी को इंटरनेट फ्रेंडली बनाने में जुटे हुए हैं।
वाराणसी, 11 अप्रैल (आईएएनएस)। भोजपुरी बोलने वाले करीब 20 करोड़ लोगों के लिए एक खुशखबरी है। अब जल्द ही लोग इंटरनेट पर भोजपुरी भाषा का इस्तेमाल कर सकेंगे। बनारस (काशी) हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान व भोजपुरी अध्ययन केंद्र मिलकर भोजपुरी को इंटरनेट फ्रेंडली बनाने में जुटे हुए हैं।
यह प्रयोग सफल होने के बाद मैथिली और मगही भाषा को भी इंटरनेट फ्रेंडली बनाने का प्रयास शुरू किया जाएगा।
भोजपुरी अध्ययन केंद्र की इस योजना का मूल उद्देश्य भोजपुरी को हिंदी व अन्य भाषाओं की तरह सहज व सुलभ बनाना है, ताकि लोग आसानी से इसे इंटरनेट पर भी पढ़ सकें। लिप्यंतरण के आभाव में ही भोजपुरी को कई प्रकार के माध्यमों में लिख पाना बहुत मुश्किल होता है।
इस योजना की निगरानी का जिम्मा खुद आईआईटी-बीएचयू के निदेशक राजीव संगल कर रहे हैं। भोजपुरी लिप्यंतरण को सुलभ बनाने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, हैदाराबाद की मदद भी ली जाएगी। इस मुहिम को लेकर पिछले दिनों ही भोजपुरी अध्ययन केंद्र और आईआईटी (बीएचयू) ने मिलकर एक संगोष्ठी का आयोजन भी किया गया था।
बीएचयू आईआईटी के निदेशक राजीव संगल ने कहा, “मातृभाषाओं में शिक्षा के माध्यम से ही मानसिक गुलामी दूर की जा सकती है। हमारा दायित्व बनता है कि पूर्वाचल क्षेत्र की मातृभाषा भोजपुरी को इस कदर समर्थ और सशक्त बनाएं कि वह आने वाली चुनौतियों का सामना कर सकें।”
उन्होंने कहा कि भोजपुरी को कम्प्यूटर और इंटरनेट सक्षम बनाने के लिए तकनीकी दक्षता विकसित करनी होगी। भोजपुरी अध्ययन केंद्र और आईआईटी, बीएचयू मिलकर इस कार्य को बखूबी अंजाम देने में जुटे हुए हैं।
बीएचयू कम्प्यूटर साइंस विभाग के ए़ के. सिंह ने आईएएनएस को बताया, “भोजपुरी को इंटरनेट पर लाने को लेकर भोजपुरी-हिंदी और हिंदी-भोजपुरी के ट्रांसलिटरेशन का काम चल रहा है।”
उन्होंने कहा कि भोजपुरी के अलग-अलग रूपों को ध्यान में रखते हुए एक बहुत बड़ा डाटाबेस तैयार किया जा रहा है। इसमें यह भी ध्यान रखा जा रहा है कि एक ही शब्द का अलग-अलग जगह अलहदा तरीके से उच्चारण होता है। भोजपुरी को इंटरनेट फ्रेंडली बनाने के लिए यह बहुत जरूरी है।
सिंह ने कहा, “अभी मशीन के ट्रांसमिशन के पार्ट बनाने पर काम चल रहा है। जल्द ही यह काम पूरा हो जाएगा।”
उन्होंने कहा कि यह प्रयोग सफल होने के बाद उत्तर बिहार और नेपाल में बोली जाने वाली मैथिली और मगध क्षेत्र की मगही भाषा को भी इंटरनेट फ्रेंडली बनाने का प्रयास शुरू किया जाएगा।
बीएचयू में भोजपुरी अध्ययन केंद्र के संयोजक डॉ. सदानंद शाही ने कहा, “आधुनिक समय में जब तक किसी भाषा को हर संभव माध्यम में जगह नहीं मिलेगी, तब तक उसका प्रचार-प्रसार सही तरीके से नहीं हो सकेगा। इंटरनेट पर सही जगह न मिल पाने की वजह से ही भोजपुरी अन्य भाषाओं की अपेक्षा तेजी से पिछड़ती जा रही है।”
उन्होंने कहा कि लगभग 20 करोड़ लोगों के बीच बोली जाने वाली भोजपुरी भाषा को पहचान दिलाने लिए यह अच्छी मुहिम शुरू हुई है, भोजपुरी अध्ययन केंद्र इस मुहिम में अपनी भूमिका का निर्वाह करेगा।